इंडो-आसियान समिट में ‘एशियनिज्म’ की पुनस्र्थापना

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चल रहे इंडो-आसियान यूथ समिट में 11 देशों ने मिलकर ‘एशियनिज्म’ को पुनस्र्थापित किया है। राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया है। चिटनिस ने बुधवार को कहा, “ऐतिहासिक कारणों से औपनिवेशिक विस्तार के चलते हमारी एशियनिज्म की पहचान खो गई थी।

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पुनस्र्थापित करना प्रशंसनीय

इसे 70 साल की संक्षिप्त अवधि में पुनस्र्थापित करना प्रशंसनीय है। भोपाल में विदेश मंत्रालय, मध्य प्रदेश शासन तथा इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित समिट में भारत सहित थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस तथा ब्रुनेई के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

राष्ट्रीय पहचान  के रूप मे प्रयासरत रहने की ज़रूरत

चिटनिस ने कहा, “एशिया विश्व में अध्यात्म और मानवता का श्रोत रहा है। हम ऐसे समय में रह रहे हैं, जब परिस्थिति वश विश्व पश्चिम से पूर्व की ओर केंद्रित होता जा रहा है। हमें एशियाई गरिमा को अभिव्यक्त करने और अपनी राष्ट्रीय पहचान सशक्त करने के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।” 

स्थानीय सभ्यता पर विस्तार से चर्चा की

समिट में आसियान देशों की संस्कृति और सभ्यता के क्षेत्र में परस्पर संबंधों पर चर्चा हुई। नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो़ सुनयना सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस परिचर्चा में एडीजी, प्रशासन पुलिस मुख्यालय, भोपाल अनुराधा शंकर सिंह ने आसियान देशों की स्थानीय सभ्यता और पहचान पर विस्तार से चर्चा की।

सभ्यता और संस्कृति से खुद को जोड़ने की ज़रूरत

सत्र में पाली भाषा के विशेषज्ञ डॉ. रामनिवास और इंडोनेशिया के डॉ. मूलचंद गौतम ने भी अपने विचार रखें।भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा, “आसियान देशों के उपनिवेशवाद के दौर में साम्राज्यवादी देशों द्वारा अपने हितों की सुरक्षा के लिए जिस तरह से इन देशों की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास को लिखा गया और बताया गया, वह पूरी तरह सही नहीं है। आज जरूरत है ये देश अपनी सभ्यता और संस्कृति से खुद को जोड़ते हुए इसकी व्याख्या करें।

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