ग्रीन एनर्जी सेक्टर में रिलायंस की दावेदारी बढ़ी…
ग्रीन एनर्जी के बारे में कई साड़ी धारण देश में लहरों की तरह उठती रहती है. लेकिन वह लहरें कब शांत हो जाती है इसका पता नहीं चल पाता है. हाल के सालों में क्लाइमेट चेंज से जुड़ें प्रभाव लोगों के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे है. इनके प्रभाव से परेशान जन-मानस इस सोच में पड़े है कि आखिर ये हो क्या रहा है. तो ज़ाहिर है कि इन्हें शिक्षित करना अब हमारी ज़िम्मेदारी होगी.
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शुरुआत के लिए ग्रीन एनर्जी से शुरू करते है
ग्रीन एनर्जी के बारे में कहा जाता है कि इससे जुड़ा हर प्लान सौर ऊर्जा से शुरू होता है और ग्रीन हाइड्रोजन पर खत्म होता है. हाल ही में भारत के सबसे बड़े बिजनेसमैन मुकेश अंबानी की ग्रीन एनर्जी को लेकर की गई घोषणा में भी यह बातें दिखीं. अंबानी ने गुजरात के जामनगर में 5 हजार एकड़ जमीन पर ‘गीगा’ कारखाना बनाने की बात कही, जहां सोलर पैनल, ग्रीन हाइड्रोजन, फ्यूल सेल और लीथियम-आयन बैटरी का निर्माण किया जाएगा. कंपनी ने साल 2030 तक 100 गीगावाट ग्रीन एनर्जी उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य भी रखा है. और सिर्फ अगले 3 सालों में इसका एक बड़ा हिस्सा पूरा कर लेने की बात कही है.
प्रोजेक्ट काफी बड़ा ज़रूर लगेगा लेकिन इसके साथ ही उपकरणों के बारे में किसी भी तरह की घोषणाएं नहीं की गई है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2030 तक भारत को 450 गीगावाट ग्रीन एनर्जी उत्पादन क्षमता वाला देश बनाने का लक्ष्य रखा है. रिलायंस तब तक इस लक्ष्य का करीब एक-चौथाई उत्पादन अकेले करना चाहती है.
रिलायंस की ग्रीन एनर्जी सेक्टर में घुसने की वजह?
चूँकि ऐसा बोला जाता है कि देश का फ्यूचर अब ग्रीन एनर्जी पर आधारित है. तो ऐसे में सही समय पे सरकारी नीतियों को देखते हुए इस सेक्टर में प्रवेश करना बेहद ज़रूरी हो जाता है.
अगले साल से भारत ग्रीन एनर्जी से जुड़े उपकरणों पर आयात शुल्क बढ़ाने वाला है. ऐसे में रिलायंस घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर भारत में बढ़ती मांग को पूरा करने का काम करेगी.
बड़े स्तर पर निर्माण की घोषणा इसी से जुड़ी है. यह पहली बार नहीं है जब रिलायंस किसी ऐसे सेक्टर में एंट्री कर रही है, जहां पहले ही कई बड़ी कंपनियां मौजूद हैं.
ग्रीन एनर्जी सेक्टर में टाटा, अडानी और जेएसडब्ल्यू जैसी बड़ी कंपनियां पहले से हैं. फिलहाल अडानी ग्रीन एनर्जी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी है. यह सोलर उपकरणों का निर्माण भी करती है और जल्द ही इसका विस्तार का प्लान भी है.
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लेकिन इसमें भी कई सारे डर है. ज़रा सोचिये, भारत में कोयले से पैदा की जाने वाली बिजली पहले से महँगी है. इन सेक्टरों में काफी ज्यादा लोग काम करते है, और एक शिफ्ट ग्रीन एनर्जी सेक्टर में इन्हें बेघर कर सकता है. ऐसे में नीतियों का पूरी तरीके से परिपालन करना बेहद ज़रूरी है.
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