पूर्व पीएम राजीव गांधी की जयंती पर पढ़े आखिर क्यों रची गयी थी उनकी मौत की साजिश..

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Rajiv Gandhi Assassination: देश आज पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता राजीव गांधी की जयंती माना रहा है। इस अवसर पर देशवासी उनके द्वारा देश के निर्माण में दिये गये योगदान को याद करते है। इस अवसर पर कांग्रेस नेता और अपने पिता को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे दिल्ली स्थित राजीव गांधी की समाधि स्थल पर पहुंचे है, वही राहुल गांधी इस अवसर पर राहुल गांधी ने लद्दाख के लिए पैंगोंग त्सो लेक ने राजीव गांधी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

साल 1944 को जन्मे गांधी परिवार में जन्मे राजीव गांधी की रहस्यमयी मौत की आज भी आम लोग भूल नहीं पाए है, 1991 में एक चुनावी रैली के दौरान बम हत्या में उनकी हत्या की साजिश रची गयी थी। राजीव गांधी की अचानक हुई हत्या ने देश भर को स्तब्ध कर दिया था। लेकिन आज तक आपने सुना और पढा वो अधूरा सच था, आज हम आपको बताएंगे आखिर कब, क्यों, कैसे इस हत्या की साजिश को गढा गया था, वो किसके कहने पर ….

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ऐसे रची गयी थी मौत की साजिश

साल 1990 में जाफना, श्रीलंका के घने जंगलों के बीच एक आतंकी ठिकाने में बैठे प्रभाकरण और उसके चार साथी बेबी सुब्रह्मण्यम, मुथुराजा, मुरूगन और शिवरासन ने मिलकर बड़ी साजिश को तैयार किया था। भारी तनाव के बीच चलती बैठक में हर व्यक्ति अपने विचारों के साथ अपना पक्ष रख रहा था, बेहद गोपनीय इस बैठक में तनाव इतना था कि हवा भी बम की आवाज की तरह लग रही थी। इसके साथ ही घंटो के विचार विमर्श और तनाव के बाद आखिर साजिश पूरी हो गई। प्रभाकरण ने राजीव गांधी की मौत के प्लान पर मुहर लगा दी। प्लान को पूरा करने की जिम्मेदारी चार लोगों को सौंपी गई।

बेबी सुब्रह्मण्यम- लिट्टे आइडियोलॉग, हमलावरों के लिए ठिकाने का जुगाड़.

मुथुराजा- प्रभाकरण का खास, हमलावरों के लिए संचार और पैसे की जिम्मेदारी.

मुरुगन- विस्फोटक विशेषज्ञ, आतंक गुरू, हमले के लिए जरूरी चीजों और पैसे का इंतजाम.

शिवरासन- लिट्टे का जासूस, विस्फोटक विशेषज्ञ, राजीव गांधी की हत्या की पूरी जिम्मेदारी.

चुनावी रैली के दौरान ऐसी हुई थी हत्या

1991 का चुनावी दौर था नेता जीत की जद ने एक – एक बंद चुनावी रैली कर रहे थे। ऐसे में हजारों की भीड़ में एक नेता की हत्या आसान तो नहीं थी, लेकिन इस हत्या बहुत आराम से अंजाम दिया गया। चेन्नई के श्रीपेरंबदूर में आयोजित चुनावी रैली में शामिल होने वाले राजीव गांधी की हत्या का पूरा प्लान फिक्स हो गया था।

इस रैली में शामिल होने पहुंचे राजीव गांधी का कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्कूली बच्चों द्वारा स्वागत किया गया, इस दौरान रैली स्थल पर पहुंचने वाले पुरुषों और महिलाओं की अलग – अलग गैलरी तैयार की गयी थी। इस दौरान इस रैली में शामिल हुए राजीव की हत्यारे महिला आत्मघाती हमलावर धनु और अन्य लिट्टे सदस्य। इस दौरान राजीव गांधी रैली में शामिल जनता से मिलने के लिए जनता के बीच में पहुंचे थे, इसी दौरान एक महिला यानी धनु उनके पास जाने का प्रयास कर रही थी, तो ऐसे में जब महिला पुलिसकर्मी ने सुरक्षा की दृष्टि से उस महिला को राजीव गांधी तक पहुंचने से रोका था ।

घरे के अंदर हत्या की आरोपी धनु

 

 

लेकिन जब इस घटना पर राजीव गांधी की नजर पडी तो उन्होने महिली पुलिसकर्मी से उस महिला को आने देने का अनुमति दी । राजीव गांधी के पास जाने की अनुमति पाते ही नलिनी ने माला पहनाई, पैर छूने के लिए झुकी और एक जोरदार ब्लास्ट के साथ ही वो बड़ी साजिश सफल होने के साथ ही कांग्रेस पार्टी ने अपना दिग्गज नेता को खो दिया था।

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राजीव गांधी की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला

राजीव गांधी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमें पर साल 2022 में सुप्रीट कोर्ट ने सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया। इस मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ‘इन दोषियों पर कोई अन्य मामला नहीं है, तो इन्हें रिहा कर दिया जाए। लंबे समय से राज्यपाल ने इस पर कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषी करार दिए गए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश बाकी दोषियों पर भी लागू होगा।इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था।’

राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस को रिहा करने के आदेश दिया है. पेरारिवलन पहले ही इस मामले में रिहा हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को जेल में अच्छे बर्ताव के कारण पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। जस्टिस एल नागेश्वर की बेंच ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया था।

 

 

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