जानें, फूलनदेवी की मौत के बाद किस हाल में है उनका परिवार
उरई जिला मुख्यालय से 50 और कालपी तहसील से लगभग 13 किलोमीटर दूर नून और यमुना नदी के संगम पर बसा गांव शेखपुरा गढ़ा। यहां की कच्ची गलियों से निकल बीहड़ के रास्ते फूलन देवी ने दस्यु सुंदरी और फिर आत्मसमर्पण के बाद राजनीतिक गलियारे में कदम रख संसद तक का सफर तय किया। दस्यु सुंदरी बनने के पीछे वजह पुश्तैनी करार दी जाने वाली जमीन में अपनी हिस्सेदारी की मांग थी।
…यहां पहली बार डकैती डाली और जेल गईं
वह जमीन जिसके लिए पिता देवीदीन ने भाई बिहारी से मुकदमेबाजी शुरू की।देवीदीन के बाद 16 बीघा जमीन के लिए लगभग 38 वर्ष पहले डकैत बनने वाली फूलन ने हर जतन किया। उसी जमीन को लेकर चचेरे भाई मैयादीन के यहां पहली बार डकैती डाली और जेल गईं। उसके बाद आज उसकी मां मूला देवी हक की लड़ाई लड़ रही हैं। बकौल मूला देवी, मेरी ‘चिरैया (फूलन देवी) आज होती तो ये दिन नहीं देखना पड़ता।
शेखपुरा गढ़ा के लिए पक्का संपर्क मार्ग बना है
बस अब एक ही इच्छा है कि सरकार मेरी जमीन मुझे दिला दे और मेरी बेटी की संपत्ति को सरकारी घोषित कर उसमें स्कूल और अस्पताल खोला जाए, जिससे गरीबों की सेवा हो सके। कालपी से मंगरौल जाने वाले रास्ते पर शेखपुरा गढ़ा के लिए पक्का संपर्क मार्ग बना है। गांव की हालत बताती है कि यहां विकास की बहुत दरकार है। फूलन का घर पूछने पर ऊबड़-खाबड़ और सकरी गलियों से होकर बिना प्लास्टर के एक पतले से मकान के आगे गांव का युवक छोड़ गया।
बात कुछ करते हैं और लिखते कुछ हैं
दरवाजा खोलने वाली फूलन की बड़ी बहन रुक्मिणी अंदर ले गईं। आंगन में सतुआ के लिए भीगे चने सुखा रहीं मां मूला देवी ने परिचय पूछने के बाद थोड़ी नाराजगी बयां की। नाराजगी इस बात पर कि लोग बात कुछ करते हैं और लिखते कुछ हैं।लगभग एक घंटे की बातचीत के दौरान मूला देवी का दर्द केवल जमीन को लेकर ही रहा। बताती हैं कि बेटे (शिवनारायण) के नाम मंगरौल देवारा में छह बीघा की बगिया है। फूलन थी तो खेत की नाप हुई थी, उसके जाने के बाद सब खत्म हो गया।
मौत के बाद दो बीघा जमीन फिर कब्जा कर ली
कई बार किसान बही लेकर गए, आज तक कुछ नहीं हुआ। डीएम से लेकर ऊपर तक तमाम लोगों से मिले, किसी ने नहीं सुनी। कालपी पुलिस पैसे की बात सुनती है। फूलन के दबाव में मैयादीन ने पांच बीघा जमीन दी थी, तीन बीघा का बैनामा किया था।फूलन की मौत के बाद दो बीघा जमीन फिर कब्जा कर ली। आज फसल बोते हैं, तो वह काट लेता है। शिकायत पर थाने वाले बुलाते हैं और बैठाकर छोड़ देते हैं। कहां कितनी जमीन के बाबत मूला देवी हिसाब गिनाती हैं कि बगिया 11 बीघा, बरुआ में दो बीघा और पुरवा मौजा देवरा में तीन बीघा कुल 16 बीघा जमीन है, जिस पर देवर बिहारी के लड़के मैयादीन का कब्जा है।
बेटी बर्बाद हो गई, अब बेटे को नहीं करना
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लोग कहते हैं कि दो जून की रोटी के लाले हैं, इतना कहना ही था कि मूला देवी भड़क गईं। कहने लगीं कि एक अखबार वाले आए थे, जबरिया फोटो खींचने लगे, तो ईंटा लेकर दौड़ा लिया। उन्होंने ही गलत-सलत लिख दिया। बेटा यह सुनकर दुखी होता है। वह (शिवनारायण) ग्वालियर में पुलिस में है। वही घर चलाता है। छह बीघा जमीन है। इतना हो जाता है कि रोटी-दाल चल जाती है। अखिलेश भैया (पूर्व मुख्यमंत्री) ने पचास हजार रुपये भेजा था जो खाते में पड़ा है। कई और लोग आ चुके हैं, कुछ न कुछ देकर जाते हैं। आंख की नमी पोछते हुए वह हाथ जोड़ कहती हैं, इसी संपत्ति के लिए बेटी बर्बाद हो गई, अब बेटे को नहीं करना है। इसीलिए बेटा को गांव नहीं बुलाते हैं। उसकी (फूलन) मौत के बाद बेटे को धक्का देकर दिल्ली से ले आई थी, मुझे उसकी संपत्ति नहीं चाहिए। बस फूलन की संपत्ति गरीबों के काम आ जाए, सरकार कुछ ऐसा कर दे।
बहन रहती गांव में, दो जून की रोटी के लाले
फूलन देवी की तीन बहनें हैं। जिसमें रुक्मिणी देवी ग्वालियर में भाई के साथ फूलन के मकान में ही रहती हैं। एक बहन रामकली गांव में रहती है। उसकी हालत काफी खराब है। शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होने के चलते तीन माह से मनरेगा का काम भी नहीं कर पाती है। वह सरकार से पेंशन की मांग करते हुए कहती हैं कि अखिलेश भैया ने पचास हजार रुपये भेजे थे, तीस हजार खर्च कर हैंडपंप लगवा लिया। बेटा ग्वालियर में मामा के पास रहता है और वहीं होटल में नौकरी करता है। उसका एक्सीडेंट हो गया, जिसके बाद से अब दो जून की रोटी के लाले हैं। बताती हैं कि फूलन के हाजिर होने पर ग्वालियर गए थे, उसके बाद से ससुराल वालों ने निकाल दिया। तबसे यहीं रहते हैं।
…काहे का पति, हम लोग उसे राखी बांधते थे
रुक्मिणी बोलीं, उम्मेद के राखी बांधती थीं हम बहनेंएक दिन पहले ही मां को ग्वालियर से गांव लेकर पहुंची रुक्मिणी बताती हैं कि फूलन के साथ उनका बेटा संतोष रहता था। वह भी काफी समय उसी के साथ गुजारती थीं। चुनावी दौरे में साथ जाती थीं। फूलन ने एकलव्य सेना पार्टी बनाई थी। उसकी मौत के बाद उसे कोई चला नहीं पाया तो उन्होंने प्रगतिशील मानव समाज पार्टी बनाई, जिसमें एकलव्य सेना का विलय कर दिया। बातचीत के दौरान उम्मेद सिंह के नाम पर रुक्मिणी भड़क गईं। बोलीं, काहे का पति, हम लोग उसे राखी बांधते थे।दीदी-दीदी कहता था। फूलन की मौत के बाद कब पति बन गया, पता ही नहीं चला। एक बार उसके भाई की शादी में गए थे, उसे वह अपनी शादी बताने लगा। आज फूलन की सारी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है। नोएडा का फार्म हाउस, दिल्ली के चितरंजन पार्क पी-112 में तीन मंजिल की कोठी, पेट्रोल टंकी सब पर कब्जा कर लिया। बनारस में एक कोठी है, जिस पर कब्जा है। भदोई में भी मकान है, वह भी कब्जे में है। अंत में वह एक सवाल करती हैं कि फूलन की मौत की सीबीआइ जांच क्यों नहीं कराई गई?
भाई को मिला है एक करोड़
उम्मेद सिंह कहते हैं कि फूलन की संपत्ति उनकी मां और भाई को सौंप दी गई है, इस सवाल पर रुक्मिणी देवी भड़क जाती हैंं- झूठा है, फूलन की मौत के बाद नामिनी के तौर पर शिवनारायण को एक करोड़ रुपया मिला था। उसके अलावा फूलन की संपत्ति से कुछ नहीं मिला है। केवल ग्वालियर का घर ही है, जो पहले एक मंजिल का बना था। फूलन के आत्मसमर्पण के बाद नौकरी दी गई है।
यह है मामला
गांव वाले और पूर्व प्रधान भगवती देवी बताती हैं कि जब जमींदारी थी तब मालगुजारी नहीं देने पर जमीन से बेदखल कर दिया जाता था। फूलन के पिता तीन भाई थे-रामसहाय, देवीदीन और बिहारी। बेदखल की गई जमीन पर बिहारी ने दस गुना मालगुजारी देकर 35 बीघा जमीन अपने नाम करा ली थी। बाद में इसी को पुश्तैनी जमीन बताते हुए देवीदीन ने मुकदमा लडऩा शुरू किया था। यह लड़ाई आज भी जारी है। फूलन की मां और गांव में रहने वाली बहन रामकली को एक-एक कालोनी दी गई है।
गांव से दूर रहते हैं मैयादीन
फूलन के खौफ के बाद मैयादीन ने गांव छोड़ मंगरौल मुख्य मार्ग पर मकान बना लिया, आज भी वहीं रहते हैं। वह बताते हैं, जमींदारी शासन में मेरे पिता ने जमीन ली थी। तब घर के जेवर, भैंस और मकान तक गिरवी रख दिया था। मुकदमा उरई, झांसी, इलाहाबाद और फिर झांसी तक चला, जिसे हम लोग जीतते गए। इसी को लेकर फूलन ने मेरे घर में डकैती तक डाली थी। गांव वालों के कहने पर वर्ष 1980 में तीन बीघा तीन डिसमिल जमीन शिवनारायण के नाम कर दी थी। पिता उसमें से साढ़े पंद्रह बीघा जमीन मेरी बहन बिटोला के नाम कर गए हैं, जो मेरे ही साथ रहती है। अगर उनके पास कुछ कागज हो तो बताएं।
गांव की तस्वीर
आबादी लगभग – तीन हजार
मतदाता – एक हजार
स्कूल – प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल
अस्पताल – कोई नहीं
हैंडपंप – 18
गांव में लगभग 95 फीसद बीपीएल कार्डधारी
पांच घर ऐसे जिनके पास है बीस से 25 बीघा खेती
कई बार लगा चुकी अधिकारियों का चक्कर
मूला देवी जमीन पर हक की मांग को लेकर डीएम, एसडीएम और एसपी तक से गुहार लगा चुकी हैं। इस बाबत एसडीएम कालपी सतीश चन्द्र ने बताया कि मूला देवी छह माह पूर्व आई थीं। आवेदन दिया था। जांच कराई गई थी, पट्टेदारी की जमीन का मामला है। तहसीलदार को जांच दी गई थी। अभी यथास्थिति है।
दैनिक जागरण
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