खबरों के साथ-साथ अब इस क्षेत्र में भी ‘राणा’ के बढ़ते कदम
दुनिया में हर शै एक दरमियां तलाशती है। धरती, आसमान के छोरों के दरमियां। नदी, किनारों के दरमियां। जंगल, शुरु से अंत के दरमियां। घर, दीवारों के दरमियां। सवाल, होने और नहीं होने के दरमियां। सुकून, चाहने और पाने के दरमियां।और प्रेम दिलों के दरमियां।
ये दरमियां – रिश्तो की बुनियाद रखता है, लिहाज का लिहाफ रखता है, आबरू की चादर बुनता है, खुशियों की लड़ियां पिरोता है, आंसुओं की ज़रीदोज़ी करता है। ये दरमियां है तो मैं हूं, तुम हो । दरमिया नहीं तो फिर कुछ भी नहीं।
इन शब्दों को पढ़ कर आप यकीनन खुद में गुम से हो गए होंगे। इन शब्दों को मोतियों की तरह पिरोने वाला एक पत्रकार है। अरे चौकिए नहीं एक पत्रकार ही तो जो अपने शब्दों से पाठकों और श्रोता को खुद से जोड़ लेता है। इस कला में पारंगत हैं राणा यशवंत। इन्हें पत्रकार कहे या कवि कहे या लेखक।
पत्रकारिता के क्षेत्र में किले फतेह कर चुके इंडिया न्यूज के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत ने अब गजलों के क्षेत्र में कदम रख दिया है। राणा यशवंत ने खबरों के साथ-साथ कविताओं को भी अद्भूत शब्दों की पकड़ रही हैं। कविताओं के साथ ही गजलों से रौशन करने के लिए राणा यशवंत का अब ‘दरमियां’ अलबम रिलीज होने जा रहा है।
गजलों का अलबम ‘टाइम्स म्यूजिक’ से रिलीज होगा। अलबम में पांच गजलें हैं। सतीश त्रिपाठी ने यशवंत राणा की गजलों को सुरों में सजाया है। उभरता हुआ सितारा और अपने इस गजल से अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं उत्कर्ष शर्मा। उत्कर्ष शर्मा ने दरमियां की गजलों को गाया है।
दर्जनों चैनलों से जुड़ चुके हैं राणा यशवंत
राणा यशवंत टेलीविजन के माहिर खिलाड़ियों में शुमार हैं। आजतक जैसे चैनल को एक मुकाम तक पहुंचाने में राणा यशवंत का अहम योगदान रहा है इसके अलावा राणा महुआ समेत कई मीडिया संस्थानों में अहम पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। बिहार के छपरा रहने वाले राणा खबरों के साथ-साथ कविता गजल रचना में भी महारथ हासिल है।
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