रामनगर की रामलीला: राजशाही ठाठ में आनंद लेते लीला प्रेमी

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वाराणसी: रामनगर की रामलीला और इसके नमी ऐसे ही प्रसिद्ध नहीं है. जैसे यहां की रामलीला विश्व प्रसिद्ध है वैसे ही यहां पर आने वाले नमी भी काफी संयमित और नियमित होते हैं. उनकी लीला देखने से पूर्व भी कई ऐसे कार्य किए जाते हैं जो और अन्य स्थान पर देखने वाले लीला प्रेमी है उनसे बिल्कुल अलग होती है. आठ दिनों से विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला का प्रारंभ है. यह लीला जितना अनोखा है उसे निहारने वाले भक्त भी उतने ही खास है.

बता दें कि कई लीला प्रेमी लीला देखने के पूर्व ही उनके ठाठ भी राजशाही हो जाते है और लीला में शामिल होने से पहले वो बनारसी रूप में तैयार होते है. लीला प्रेमियों का यह क्रम पूरे एक महीने तक चलता है. लीला प्रारंभ होने के साथ यह लीला प्रेमी (नेमी) तब से ये लोग अपने काम को छोड़ दूर दराज से इस लीला में शामिल होने के लिए खींचे चले आते हैं. लीला में शामिल होने से पहले ये लोग (लीला प्रेमी) साफ सफाई और शुद्धता का भी पूरा ख्याल रखते हैं. लीला स्थल पहुंचने से पहले यह लोग दुर्गा मंदिर के सामने प्राचीन तालाब में स्नान के बाद पूरे शाही ठाठ बाट में तैयार होकर ही वो लीला में शामिल होते हैं.

शाही रूप धारण करते है लीला प्रेमी

गौरतलब है कि स्नान करने के बाद यह लोग सफेद धोती कुर्ता तो कोई धोती कुर्ता पर पगड़ी लगाए नजर आता है. इसके अलावा आंखों में सुरमा और हर दिन अलग अलग तरह के इत्र का प्रयोग कर यह नेमी लीला प्रेमी इस लीला में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. पुराने ज्यादातर लोगों के पास तो शाही छड़ी भी होती है. लोग स्नान के दौरान इस साड़ी को भी अच्छे से साफ सफाई करते हैं. जिस कारण नेमी भक्त भी रामनगर के इस लीला को खास बनाते है. अन्य स्थानों के लीला प्रेमियों से अलग नजर आते हैं.

लीला में शामिल होने के लिए पहले ही बंद कर देते हैं दुकान

प्रतिदिन रामनगर की लीला देखने वाले नेमी भक्त बंसत यादव ने बताया कि वो 35 सालों तक इस लीला को देखने यहां आ रहे है. अपने दुकान और कामकाज को छोड़ बसंत यादव पूरे एक महीने तक इस लीला में शामिल होते है और इस अद्भुत पल के साक्षी बनते है. उन्होंने बताया कि हर हम लोग दुर्गा कुंड पोखरे पर पहुंचते हैं और सभी लोग साथ में स्नान करते हैं. स्नान करने के बाद हम लोग साफ और शुद्ध कपड़े को पहनकर ही लीला को देखते है. एक साथ हम लोग दर्जनों की संख्या में इस तालाब पर पहुंचते हैं और कपड़ा पहनने के बाद हम लोग साथ में लीला देखने पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि अब तो हम लोगों के बच्चे भी इसका अनुसरण करने लगे हैं.

भगवान राम के भक्ति में होते है लीन

विजय कश्यप ने बताया कि वो अपने दोस्तों के साथ इस लीला को हर दिन निहारते है. इस लीला में स्वयं प्रभु श्री राम के साक्षात दर्शन होता है और हम सब लोग उनके ही भक्ति में लीन रहते है. करीब 40 साल से उनके लीला में शामिल होने का क्रम चलता आ रहा है. उन्होंने बताया कि लीला के इन 1 महीनों में वो जितना भी जरूरी हो लेकिन बनारस से कभी भी वो दूर नहीं जाते है.

हाथ में डंडा होती है इनकी पहचान

बसंत यादव और विजय कश्यप ने बताया कि हम लोगों के हाथ में एक डंडा होता है. यह दंडा हमारे भाई के रूप में होता है. जहां भी हम लोगों को सहारे की जरूरत होती है यह भाई के रूप में हम लोगों का सहारा बनता है. जितने भी दिन आते हैं यह दंडा हम लोगों के साथ होता है. यह झंडा हम लोगों का सहारा बनता है.

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