जानें कैसे मामूली सिपाही से थानेदार बन गया गोरखपुर कांड में आरोपी जगत नारायण, वर्दी पर लगे है दाग ही दाग !

Inspector Jagat Narayan

कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता के हत्या मामले ने पूरे पुलिस महकमे को शर्मसार कर दिया है। इस मामले में आरोपी पुलिस वाले ही है।

इसमें जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में जो नाम आया है वो है रामगढ़ ताल थाने के इंस्पेक्टर जगत नारायण का। लोग इस नगद नारायण के नाम से भी जानते हैं।

जगत नारायण जो कि एक मामूली सिपाही था वो कैसे आउट आफ टर्म प्रमोशन इंस्पेक्टर पद तक पहुंच गया। यह सवाल लोगों के मन में है।

पहले भी आया हत्या के मामलों में नाम-

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह का नाम हत्या मामले में आया हो। मीडियो सूत्रों के मुताबिक इससे पहले दो हत्याओं में इंस्पेक्टर का नाम सामने आ चुका है।

गोरखपुर के बांसगांव में 7 नवंबर 2020 को शुभम नाम के एक शख्स की पुलिस हिरासत में मौत का आरोप लगा था। उस वक्त जेएन सिंह ही बांसगांव का इंस्पेक्टर था।

पिछले 13 अगस्त को रामगढ़ताल पुलिस कस्टडी में 20 वर्षीय गौतम सिंह की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी। इस मामले में भी जेएन सिंह पर आरोप लगे थे।

सोशल मीडिया पर चर्चा में इंस्पेक्टर-

गोरखपुर कांड के बाद जेएन सिंह को लेकर सोशल मीडिया पर तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं। यूजर पूछ रहे हैं कि आखिर क्यो इस इंस्पेक्टर की हमेशा कमाई वाले थानों में ही नियुक्ति होती है।

लोग इस थानेदार को हैवान बता रहे हैं। जेएन सिंह को जानने वालों में से ज्यादातर के मोबाइल फोन में उसका नाम नकद नारायण से ही सेव है। इसी नाम से वो मशहूर भी है।

पुलिस वालों से इंस्पेक्टर जेएन सिंह कोर्ड वर्ड में ही बात करता था। वो पैसे को वांछित कहता था और उसका डॉयलॉग था, ‘मैं वांछित के बगैर कोई काम नहीं करता।’

जेएन सिंह को मिला था आउट ऑफ प्रमोशन-

जेएन सिंह को आउट ऑफ प्रमोशन मिला था, जिसके चलते वो सिपाही से इंस्पेक्टर बना था। इसको लेकर अक्सर वो डींग हांकता था।

इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह उर्फ नगद नारायण सिंह का एक और हिट डॉयलॉग पूरे गोरखपुर में मशहूर था। वो कहता था, ‘मुझसे कोई सिफारिश ना करना। मैं बिना वांछित के कोई काम नहीं करता। वांछित का मतलब है रुपया।’

वो कहता थ, ‘मेरे जैसा इंस्पेक्टर जिले में सिर्फ दो लोगों की बातें सुनता है बाकी किसी की नहीं। बड़े-बड़े नेताओं का तो सुजाकर गुब्बारा बना दिया हूं। ऐसे ही इंस्पेक्टर नहीं बना हूं। घाट-घाट का पानी पीकर सिपाही से आउट आफ टर्म प्रमोशन मिला है।’

कानपुर के कारोबारी की हत्या के बाद सवाल उठ रहा है कि जेएन सिंह की वर्दी पर दाग ही दाग हैं, फिर भी उसे अहम थानों का इंचार्ज कैसे बना दिया गया। इसके अलावा जो सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है वो ये कि जेएन सिंह आखिर कहां छुपा है।

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