मारा गया मथुरा हिंसा का मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव
मथुरा के जवाहर बाग में गुरुवार को हुए तथाकथित सत्याग्रहियों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प में सत्याग्रहियों का नेता और मथुरा हिंसा का मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव के मारे जाने की खबर को डीजीपी जावीद अहमद ने ट्वीट कर पुष्टि कर दी है।
गुरुवार हो हुए हिंसा में मथुरा के एसपी सीटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव शहीद हो गए थे। जिसके बाद से राज्य के आलाधिकारी खुद मौके पर जाकर घटनास्थल का जायजा लिया था।
क्या था मामला
1 जनवरी 2014 को पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से संगठित करीब एक हजार लोगों ने मध्य प्रदेश के सागर से चलकर दिल्ली जंतर-मंतर तक पहुंचने के लिए मथुरा स्थित जवाहर बाग में डेरा डाला था। डीएम नें उन्हें दो दिन बाद जगह खाली करने के आदेश दिए थे, लेकिन दो दिन बाद भी वे यहां से हटे नहीं। शुरुआत में वो यहां एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे यहां पर और झोपड़ियां बनीं, इसके बाद इस संगठन का मुखिया रामवृक्ष यादव 270 एकड़ में अपनी सत्ता चलाने लगा। और वह इतना ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी उसका कुछ नहीं कर पा रहा था।
कौन है रामवृक्ष यादव
आइये जानते हैं जवाहर बाग में दो साल से डेरा डाले हुए और हिंसा पर उतारू लोगों की हकीकत, जिन्होंने प्रशासन की नाक में दम कर दिया। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले का सरगना रामवृक्ष यादव नाम का एक शख्स है जो गाजीपुर का रहना वाला है।
मुकदमों का अंबार
बता दें कि मथुरा में 2014 से लेकर 2016 तक इस पर 10 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। जिसमें पुलिस अधिकारयों पर हमला, सराकरी संपत्ति पर अवैध कब्जा शामिल है। विजयपाल तोमर नामक एक याचिकाकर्ता जब इसक कब्जे के खिलाफ कोर्ट गए तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे खाली करने का आदेश दिया था। जिसके बाद मई में रामवृक्ष यादव इस आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज करते हुए 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था।
जयगुरुदेव का शिष्य
रामवृक्ष यादव बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है। उसने जयगुरुदेव के विरासत के लिए भी दावेदारी की कोशिश की थी। जानकारी के मुताबिक जयगुरुदेव के निधन के बाद विरासत के लिए तीन गुटों में टकराव हुआ। पंकज यादव और उमाकांत तिवारी के बीच टकराव हुआ और पंकज यादव उत्ताराधिकारी बना। वहां समर्थन न मिलने पर रामवृक्ष अलग गुट बनाकर मथुरा के जवाहरबाग में 270 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। कहा जाता है कि पांच हजार लोग उसके लिए काम करते थे। उसी कहने के पर इस पूरी झड़प को हिंसक रुप से अंजाम दिया गया।
ये थी मांगें
खुद को सुभाषचंद्र बोस का अनुयायी कहने वाले ये लोग पेट्रोल और डीजल की कीमत एक रुपए लीटर करने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि देश में सोने के सिक्के चलाए जाएं और आजाद हिंद फौज के कानून माने जाएं। इसी की सरकार देश में शासन करे। अन्य मांगों में भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द करना, वर्तमान करेन्सी की जगह ‘आजाद हिंद फौज’ करेन्सी शुरू करना, एक रुपये में 60 लीटर डीजल और एक रुपये में 40 लीटर पेट्रोल की बिक्री करना शामिल है।
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