लखनऊ महोत्सव में लोगों को आकर्षित कर रही है छबीला राम की मिठाई
लखनऊ महोत्सव में उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे शहरों से आई ज्यादातर दुकानों को पहली बार अपने शहर से बाहर निकलकर अपने उत्पाद को सामने रखने का मौका मिला है। यहां आई कई दुकानों की अलबेली कहानियां हैं, जिसे उनके अपने शहर में तो सब जानते हैं, लेकिन अब लखनऊ भी उनके हुनर के सफर का गवाह बन गया है।
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100 साल पुरानी है ‘छबीला राम गोपाल जी’ की मिठाई की दुकान
बलिया से आई छबीला राम गोपाल जी की मिठाई की दुकान तकरीबन 100 साल पुरानी है, लेकिन पहली बार इस दुकान को लखनऊ जैसे शहर में अपने उत्पाद को सामने रखने का अवसर मिला है। दुकान के मालिक साकेत गुप्ता ने बताया कि स्वाद के सफर का ये सिलसिला उनके परदादा श्री छबीला राम के वक्त से शुरू हुआ था। उसके बाद उनके दादा श्री गोपाल जी और फिर पिता श्री लालबाबू गुप्ता ने कारोबार संभाला। बलिया जैसे छोटे शहर में ये दुकान कभी किसी पहचान की मोहताज नहीं रही। लेकिन साकेत के मुताबिक उनके सामने चुनौती थी कि वो नई पीढ़ी को 100 साल पुराने स्वाद से कैसे जोड़ें।
छबीला राम के गाजर के हलवे का जवाब नहीं
छबीला राम गोपाल जी मिष्ठान भण्डार का दावा है कि उनकी दुकान जैसा गाजर का हलवा कहीं और नहीं मिलता। लखनऊ से लेकर दिल्ली-एनसीआर तक में जो गाजर का हलवा खाया जाता है, उससे एकदम अलग है छबीला राम का गाजर हलवा। इसके अलावा इस दुकान के गुलाब जामुन की भी बलिया में जबरदस्त मांग है। वैसे इस स्वाद के शौकीन बलिया से मिठाइयां खरीदकर दूसरे शहर में जरूर ले जाते हैं, लेकिन कभी खुद दुकान ने दूसरे शहर का रुख नहीं किया।
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ये पहली बार हुआ है कि इस मिठाई दुकान ने बलिया का दायरा लांघकर प्रदेश की राजधानी में अपनी जगह बनाई है। साकेत गुप्ता का कहना है कि – “हम जैसे छोटे दुकानदारों को लखनऊ जैसे शहर में अपने उत्पाद को पेश कर पाना ‘एक जिला एक उत्पाद योजना’ की वजह से ही संभव हुआ है। इसके लिए मैं योगी सरकार का बहुत-बहुत आभारी हूं।’
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लखनऊ महोत्सव के फूड कोर्ट में सजी है दुकान
लखनऊ महोत्सव के दौरान फूड कोर्ट में दुकान नंबर 4 में जैसे ही छबीला राम की मिठाइयां सजीं, यहां आम लोगों के साथ-साथ अधिकारियों की भी आवाजाही होने लगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई अरुणाचल प्रदेश के कलाकारों को भी उत्तर भारत का ये स्वाद खूब पसंद आया।
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अवध शिल्पग्राम में दूसरे जिलों से आए सभी दुकानदारों के लिए लखनऊ महोत्सव में शामिल होना एक खास अनुभव है। अब तक लखनऊ या दूसरे बड़े शहर में जाकर वो ग्राहक की भूमिका में ही होते थे, लेकिन इस बार वो दुकानदार बनकर लखनऊ के लोगों से रूबरू हुए, और तहजीब और नजाकत के लिए मशहूर लखनऊ शहर ने दुकानदारों का दिल जीत लिया है। कहा जा सकता है कि ‘एक जिला एक उत्पाद योजना’ ने प्रदेश के कई शहरों को ना सिर्फ आपस में जोड़ा है, बल्कि एक जिले से दूसरे जिले के बीच की दूरियों को भी कम कर दिया है।