राजभर की बीजेपी में वापसी बदलेगी यूपी की राजनीति, 2024 में सुभासपा छीनेगी सपा के वोट
लोकसभा चुनाव-2024 से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा फेरबदल हो गया। रविवार को सुभासपा ने सपा को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। ओमप्रकाश राजभर की भाजपा में वापसी होने से समाजवादी पार्टी के वोट बैंक पर सेंध लग सकती है। उधर सपा से दारा सिंह चौहान ने भी मुंह मोड़ लिया है। खबर है कि सोमवार को दारा सिंह भाजपा पार्टी में शामिल हो जाएंगे। दारा सिंह के भाजपा में जाने की तैयारी शनिवार को ही पूरी हो चुकी है। ऐसे में एनडीए में छोटे दलों के शामिल होने से भाजपा की ताकत बढ़ जाएगी। भाजपा छोटे दलों को अपने खेमे में लेकर एक तीर से दो निशाने साध रही है। आईए जानते हैं आखिर भाजपा का नया सियासी समीकरण क्या है… चुनाव 2024 के लिए भाजपा कौन-से पत्तों को फेंक कर सियासत की शतरंज बिछा रही है…
सुभासपा की भाजपा में वापसी
रविवार को एनडीए गठबंधन में एक और दल शामिल हो गया। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने एनडीए से हाथ मिला लिया है। ठीक एक दिन पहले सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर दिल्ली में अमित शाह से मिले थे। तभी से ओपी राजभर की बीजेपी में वापसी के कयास शुरू हो गए थे। वहीं अब आज सुबह ही अमित शाह ने पहले ओपी राजभर के एनडीए में आने के लिए राजभर का स्वागत करते हुए ट्वीट किया था। इसके बाद खुद ओपी राजभर ने भी मीडिया के सामने आकर इस बात को स्वीकार कर लिया है कि सुभासपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया है। अब सुभासपा भी एनडीए के उसूलों पर चलकर लोकसभा चुनाव में भाजपा का सहयोग करेगी।
भाजपा का दोहरा निशाना
विपक्षी एकता की बैठक के बाद से ही भाजपा पार्टी छोटे दलों को एनडीए में शामिल करने के एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। भाजपा का छोटे दलों को साथ जोड़ने के पीछे दो बड़े राजनैतिक लाभ निहित हैं। एक तो छोटे दलों के एनडीए में आने से विपक्षी दलों की एकता में कमजोर पड़ेगी। दूसरा लाभ यह है कि भाजपा के समक्ष समर्थ पार्टियों में फूट पड़ेगी, जिससे भाजपा की ताकत में बढ़ोत्तरी होगी। भाजपा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार समेत कई राज्यों में फूट डालो नीति को अपना भी रही है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र सरकार की तस्वीर सभी के सामने है। अब भाजपा भरसक प्रयास कर रही है कि पार्टी की जड़े सभी राज्यों में अपनी पकड़ बना कर रखे। इसी उद्देश्य से भाजपा छोटे दलों को साथ में लेकर चलना चाह रही है।
छोटे दलों को जोड़ रही भाजपा
भाजपा पार्टी 18 जुलाई को होने वाली एनडीए की बैठक से पहले अपने सहयोगियों की संख्या को बढ़ाने में जुटी हुई है। इस बीच सुभासपा का भाजपा के साथ आ जाना, भाजपा के लिए अच्छी शुरूआत है। भाजपा ऐसे में उन तमाम चेहरों को साधने की कोशिश है, जो किसी प्रकार से एक बड़े वोट बैंक को प्रभावित करते हैं। ऐसे में ओम प्रकाश राजभर के एनडीए में जाने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति पर चर्चा शुरू हो गई है। जाहिर है राजभर की भाजपा में वापसी के बाद सपा के कई वोट बैंक में सेंध लगेगी।
यूपी की राजनीति में छोटे दलों का रोल
उत्तर प्रदेश में राजभर वोट बैंक भाजपा के खेमे में जाने से संभवत: समाजवादी पार्टी समेत कई पार्टियों पर प्रभाव डालेगा। लेकिन सबसे ज्यादा अखिलेश यादव की सपा पार्टी पर असर पड़ने वाला है। यहां यह समझना जरूरी है कि यूपी की राजनीति में राजभर वोट बैंक 4 फीसदी के साथ बड़ी राजनीतिक ताकत रखता है। भले ही सुभासपा एक छोटा दल है और किसी भी उम्मीदवार को जिताने का दम भी नहीं रखती है। फिर भी सुभासपा जैसे छोटे दल वोटों का समीकरण जरूर बिगाड़ सकते हैं।
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सुभासपा देगी भाजपा को 16 सीटों की बढ़त
वहीं अब बात की जाए कि ओमप्रकाश राजभर के एनडीए में आने से क्या लाभ होगा तो भाजपा को सुभासपा से 16 सीटों पर बढ़त मिल सकती है। इसका कारण है, ओम प्रकाश राजभर का डेडिकेटेड वोट बैंक है। जितनी तेजी से ओपी राजभर दल बदलते हैं, उतनी ही रफ्तार से उनके वोट बैंक भी उनके पीछे चले आते हैं। पूर्वांचल की 16 सीटों पर ओपी राजभर की वोट बैंक किसी पार्टी को जीता भी सकती है और हरा भी सकती है।
सुभासपा के वोट बैंक
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर वाराणसी, जौनपुर, घोसी, लालगंज, गाजीपुर, अंबेडकर नगर, सलेमपुर, आजमगढ़, बलिया, चंदौली, इलाहाबाद, फैजाबाद, बस्ती, गोरखपुर, मछली शहर और भदोही लोकसभा सीटों पर प्रभावी माने जाते हैं। सुभासपा प्रमुख दावा करते हैं कि उन्हें केवल राजभर ही नहीं बिंद, निषाद, बंजारा, मौर्य, कश्यप, कुशवाहा जैसी अन्य पिछड़ी जातियों का समर्थन हासिल है। वे लोकसभा की 26 और विधानसभा की 153 सीटों पर प्रभाव होने का दावा करते हैं।
2024 के लिए सपा की बड़ी चूक
उत्तर प्रदेश में छोटे दलों के वोट प्रभाव को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बेहतर समझते हैं। यूपी चुनाव 2022 से पहले अखिलेश यादव ने इसी सियासी छड़ी का इस्तेमाल किया था और समाजवादी पार्टी के साथ छोटे दलों को जोड़ने में सफलता भी हासिल की थी। इस सियासी छड़ी से सपा को लाभ भी मिला था। वहीं अब सपा को चकमा देकर भाजपा ने इसी सियासी छड़ी का इस्तेमाल किया है। भाजपा अच्छी तरह से जानती है कि उत्तर प्रदेश में वोट बैंक कायम रखने के लिए छोटे दलों को बिखरने से बचाना होगा और पार्टी से बांधकर रखना होगा। राजभर के भाजपा के साथ जुड़ने से करीब 16 लोकसभा सीटों पर भाजपा की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद की जा रही है।
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