सिद्ध साधु के श्राप से उबर नहीं पाया राजस्थान का ये रहस्यमयी मंदिर, पत्थर बन जाता है रात में रुकने वाला! जानें दिलचस्प कहानी
देश भर के विभिन्न राज्यों में अनेकों भगवान के मंदिर स्थापित हैं. इन मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए दूर-दूर से काफी श्रद्धालु आते हैं. वहीं, कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जिनके पीछे कई कहानियां भी प्रचलित हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसे एक साधु ने श्राप दिया था. मान्यताओं के अनुसार, सूरज के अस्त होने के बाद इस मंदिर में कोई नहीं रुकता है. अगर कोई यहां रुक जाता है तो वह पत्थर की मूर्ति बन जाता है. हालांकि इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी भी है, जो काफी प्राचीन समय की है. तो आइये जानते हैं राजस्थान के बाड़मेर में स्थित किराडू मंदिर की कहानी के बारे में…
बाड़मेर में स्थित किराडू मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है. इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में सूर्यास्त होने के बाद कोई नहीं रुकता है. जैसे-जैसे सूरज ढलता है वैसे-वैसे ही यहां से लोगों का जाना भी शुरू हो जाता है. सैंकड़ों वर्ष पूर्व इस मंदिर की पहचान किराट कूप के नाम से होती थी. मंदिर की 5 शृंखलाएं हैं, जिनमें ठीक अवस्था में शिव जी और विष्णु जी का ही मंदिर है. बाकी के मंदिरों की देखरेख न होने पर वो खंडहर में हो चुके हैं.
अभी तक इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि किराडू मंदिर का निर्माण किस वंश के शासनकाल में हुआ था. लेकिन, ऐसा माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण गुप्त वंश, संगम वंश या फिर गुर्जर-प्रतिहार वंश के दौरान कराया गया होगा. अब सवाल उठता है कि किराडू मंदिर में रात में लोग क्यों नहीं रुकते हैं? तो जानिए इसकी कहानी…
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मंदिर में ना रुकने की दिलचस्प कहानी…
प्रचलित मान्यताओं और लोककथाओं के मुताबिक, एक बार सिद्ध साधु अपने शिष्यों के साथ इस मंदिर में घूमने आए थे. इस दौरान वो अपने शिष्यों को मंदिर में छोड़कर भ्रमण करने चले गए. इस दौरान मंदिर में रुके शिष्यों में से एक की तबीयत बहुत ही खराब हो गई. अन्य शिष्यों ने आसपास रहने वाले ग्रामीणों से मदद मांगी, लेकिन मदद के लिए कोई तैयार नहीं हुआ. हालांकि, एक महिला ने उस बीमार शिष्य की मदद की थी. जब वो सिद्ध साधु वापस लौटे तो उन्हें पूरी घटना की जानकारी दी गई.
शिष्यों की बात सुनकर साधु को भयंकर क्रोध आया और उन्होंने ग्रामीणों को श्राप दे दिया. श्राप देते हुए उन्होंने कहा कि सूर्यास्त होते ही सारे गांववाले पत्थर में बदल जाएंगे. इससे पहले सिद्ध साधु ने मदद करने वाली उस महिला को गांव छोड़कर जाने और पलटकर गांव की ओर न देखने की हिदायत दी थी. हालांकि, कुछ दूर जाने के बाद महिला ने पलटकर देखा और वह पत्थर की मूर्ति बन गईं.