अशोक गहलोत बन सकते हैं कांग्रेस अध्यक्ष! डॉक्टर से लेकर जादूगर जानें सियासी सफर

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राजस्थान राज्य की सत्ताधारी पार्टी कंग्रेस के सीएम अशोक गहलोत इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष पद के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. गहलोत 24 साल बाद कांग्रेस के गैर गांधी अध्यक्ष बन सकते हैं यानि कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के सबसे बड़े पद पर बैठ सकते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए बीते गुरुवार को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. चुनाव प्रक्रिया 24 सितंबर को शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगी. बताया जा रहा है कि गहलोत 28 सितंबर को नामांकन दाखिल कर सकते हैं. बता दें चुनाव 17 अक्टूबर को होंगे और 19 अक्टूबर को मतगणना होगी. इसी दिन कांग्रेस के नए अध्यक्ष का नाम भी सामने आ सकता है.

71 वर्षीय अशोक गहलोत का सियासी सफर कैसा रहा और क्या-क्या पड़ाव आए. आइये जानते हैं उनके बारे…

इस तरह हुई राजनीति में एंट्री…

अशोक गहलोत ने अपनी रानीतिक पारी की शुरुआत कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से की और फिर भी पीछे पलटकर नहीं देखा. गहलोत का सियासी तारा बहुत जल्द ही चमकने लगा था. साल 1973 में गहलोत को राजस्थान एनएसयूआई का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. वे इस पद पर साल 1979 तक रहे. साल 1979 में उन्हें जोधपुर जिला कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी गई. यहां उन्होंने अपनी जादूगरी दिखाई तो पार्टी ने उन्हें साल 1982 में राजस्थान कांग्रेस का महासचिव बना दिया. 34 साल की उम्र में अशोक गहलोत को राजस्थान कांग्रेस की कमान मिली. वे 3 बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहे. पहली बार सितंबर, 1985 से जून, 1989 तक. दूसरी बार 1 दिसंबर, 1994 से जून, 1997 तक और तीसरी बार जून, 1997 से 14 अप्रैल, 1999 तक वे इस पद पर रहे.

पहली बार चुनाव मैदान में उतरे…

साल 1977 में अशोक गहलोत पहली बार चुनाव मैदान में उतरे. उन्होंने सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद साल 1779 में गहलोत जोधपुर सीट से चुनाव मैदान में दोबारा उतरे. इस दौरान सफलता उनके हाथ लगी. साल 1980-84 में वे पहली बार सांसद बने. इसके बाद साल 1984-1989, साल 1991-96, साल 1996-98 और साल 1998-1999 में जोधपुर से ही सांसद बने. साल 1999 में जोधपुर की सरदारपुरा विधानसभा सीट चुनाव जीतकर गहलोत राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने. इसके बाद वे साल 2003, साल 2008, साल 2013 और साल 2018 में इसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने.

सरकार में रहे केंद्रीय मंत्री…

अशोक गहलोत पूर्व पीएम स्व. इंदिरा गांधी, स्व. राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे. इंदिरा गांधी सरकार में अशोक गहलोत 2 सितंबर, 1982 से 7 फरवरी, 1984 तक पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे. 7 फरवरी, 1984 से 31 अक्टूबर, 1984 और 12 नवंबर, 1984 से 31 दिसंबर, 1984 तब वे खेल उपमंत्री भी रहे. 31 दिसंबर, 1984 से 26 सितंबर, 1985 तक गहलोत ने केंद्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया. 21 जून, 1991 से 18 जनवरी, 1993 तक वे केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री रहे. इससे पहले यह मंत्रालय इंदिरा गांधी के पास था.

तीन बार बने राजस्थान के सीएम…

अशोक गहलोत तीन बार राजस्थान के सीएम बने. सबसे पहले उन्होंने साल 1998 में सीएम पद की शपथ ली और साल 2003 तक सीएम रहे. दूसरी बार वे साल 2008 में सीएम बने और साल 2013 तक इस पद पर रहे. साल 2018 में एक बार फिर अशोक गहलोत सीएम बने. जिसका कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है. वे वर्तमान में प्रदेश के सीएम हैं. इसके अलावा जून, 1989 से नवंबर, 1989 की अल्प अवधि के बीच गहलोत राजस्थान सरकार में मंत्री भी रहे. उनके पास गृह और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग था.

जनवरी, 2004 से जुलाई, 2004 तक गहलोत को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया. इस दौरान हिमाचल और छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी भी रहे. जुलाई, 2004 में उन्हें कांग्रेस महासचिव बनाया गया. इस पद पर उन्होंने 18 फरवरी, 2009 तक काम किया. इस बीच वे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कांग्रेस की इकाइयों और सेवादल के प्रभारी भी रहे. 30 मार्च, 2018 को उन्हें एक बार फिर महासचिव बनाया गया. अब वे कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.

जानिए गहलोत का निजी जीवन…

राजस्थान की नीली नगरी कहे जाने वाले जोधपुर में 3 मई, 1951 को अशोक गहलोत का जन्म हुआ था. उनके पिता स्व. लक्ष्मण सिंह गहलोत जादूगर थे. गहलोत की शुरुआती पढ़ाई शहर में ही हुई. उन्होंने अपने पिता से जादू सीखा और उनके साथ कई जगह कार्यक्रम करने भी गए. हालांकि, बाद में गहलोत ने जादू दिखाना बंद कर दिया.

अशोक गहलोत साइंस से ग्रेजुएट हैं. साल 2019 में जयपुर में एक निजी अस्पताल के समारोह में उन्होंने खुद कहा था कि वे डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन मेडिकल एंट्रेस टेस्ट क्लीयर नहीं कर सके. अशोक गहलोत ने एलएलबी के साथ इकनॉमिक्स में पीजी किया है. पढ़ाई के दौरान ही वे छात्र राजनीति में एक्टिव हो गए थे.

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