राहुल ईमानदार, लेकिन बातों में मोदी आगे है : योगेंद्र
स्वराज अभियान के संस्थापक और आम आदमी पार्टी के पूर्व सदस्य योगेंद्र यादव ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने लायक उतना ही काम किया है, जितना प्रिंस चार्ल्स ने ब्रिटेन का अगला राजा बनने के लिए किया है।
मोदी हैं असाधारण वक्ता
देश के मशहूर चुनाव विश्लेषकों में शुमार योगेंद्र यादव का कहना है कि लोगों से जुड़ने की क्षमता के मामले में राहुल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई मेल नहीं है। यादव कहते हैं कि मोदी के धुर विरोधी, जिनमें मेरे जैसे लोग भी शामिल हैं, यह जरूर मानते हैं कि वह एक असाधारण कम्युनिकेटर हैं। अपने भाषणों में वह हर बार ‘गोली’ भी दे देते हैं और पकड़े भी जाते हैं। लेकिन, मैंने पहले ही कहा कि वह एक असाधारण कम्युनिकेटर हैं।
‘नेताओं में लोगों से जुड़ने की क्षमता जरूरी‘
योगेंद्र यादव का मानना है कि लोगों से जुड़ाव के मामले में राहुल ही नहीं, बल्कि ज्यादातर भारतीय नेता मोदी के आगे नहीं टिकते। यादव कहते हैं, ‘आप देखें कि एक नेता को बेंगलुरु में काम करने वाले आईटी इंजीनियर से लेकर ओडिशा के किसी गांव में रह रही महिला से बात करनी होती है, जिसे यह तक पता नहीं होता कि देश में कोई प्रधानमंत्री भी है।
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आपमें इनसे जुड़ने की महामानवों जैसी क्षमता होनी चाहिए।’ योगेंद्र यादव साथ ही कहते हैं कि 20वीं सदी में बस एक ही शख्स- मोहनदास करमचंद गांधी ने ऐसा करके दिखाया। वह कहते हैं, ‘उनके पास किसी बैरिस्टर से लेकर गांव में आखिरी पंक्ति में बैठी महिला से बातचीत करने की असाधारण क्षमता थी। यादव से जब पूछा गया कि क्या वह पीएम मोदी के संवाद कौशल की तुलना गांधी जी से कर रहे हैं, तो वह इससे तुरंत इनकार करते हैं। वह कहते हैं, ‘नहीं, नहीं, नहीं… मैं यहां कह रहा हूं कि मेरे लिए गांधी ही कम्यूनिकेशन का मॉडल हैं। मोदी असाधारण रूप से बेहतरीन वक्ता हैं, लेकिन गांधी के उलट इस प्रक्रिया में वह कई भ्रामक बातें भी कह जाते हैं।’
‘राहुल में नहीं दिखतीं जरूरी काबिलियत‘
एक नेता के रूप में राहुल गांधी की क्षमताओं को लेकर यादव कहते हैं, ‘क्या उनमें इस गणतंत्र की नींव को चोट पहुंचा रही चुनौतियों का मुकाबला करने की क्षमता है? क्या उनमें देश के लोगों को बड़ी चुनौतियों के मुकाबले के लिए खड़ा करने की काबिलियत है? दुर्भाग्य से इसका जवाब है- नहीं…’
‘कांग्रेस में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत‘
योगेंद्र यादव कांग्रेस पार्टी की मौजूदा स्थिति को ‘कबाड़ का ढेर’, ‘इतिहास का बोझ’ और ‘भ्रष्टाचार का पर्याय’ करार देते हुए कहते हैं कि राहुल गांधी को अपनी पार्टी को पूरी तरह बदलना होगा, जिससे कि लोग उसे गंभीरता से लें। योगेंद्र कहते हैं, ‘कांग्रेस को या पूरी तरह बदल दें, या कबाड़ में फेंक दें। आज यही विकल्प हैं और राहुल गांधी को यह तय करना होगा कि वह बदलाव की राह पकड़ते हैं, क्या वह थोड़े समय के लिए जोखिम उठाते हैं, बड़े बदलाव की तरफ बढ़ते हैं या फिर छोटे-मोटे बदलाव कर चीज़ों को जस का तस रहने देते हैं।
जब अपनी संवाद क्षमता का लोहा मनवा रखा है
यादव से जब पूछा गया कि क्या यह विडंबना नहीं कि जिग्नेश मेवाणी, हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार जैसे युवा नेताओं ने जब अपनी संवाद क्षमता का लोहा मनवा रखा है, ऐसे वक्त में देश को कई प्रधानमंत्री दे चुके परिवार के सदस्य राहुल गांधी से इतनी कम उम्मीदें रखी गई हैं? वह कहते हैं, ‘ये लोग धीरे-धीरे ऊपर उठे हैं। जमीन से ऊपर उठकर आज दिख रहे हैं। ये क्षमताएं धीरे-धीरे विकसित होती हैं, न कि उनमें जिन्हें उठाकर पैराशूट नेता के रूप में उतारा जाता है।
‘राहुल लगते हैं ज्यादा ईमानदार‘
योगेंद्र यादव कहते हैं, ‘ये (नेता) आपको विज़न देते हैं और उनमें दूसरों से संपर्क साधने, बातचीत करने और उनतक अपनी बातें पहुंचाने की क्षमता है। मुझे नहीं पता कि राहुल गांधी में ये बातें हैं।’ हालांकि योगेंद्र यादव कहते हैं कि वह अब तक जितने शीर्ष नेताओं से मिले हैं, उनमें कांग्रेस उपाध्यक्ष ‘ज्यादा ईमानदार’ लगते हैं।
(साभार – न्यूज 18)