कर्नाटक चुनाव ने उड़ाई कांग्रेस और भाजपा की नींद
कर्नाटक चुनाव मे भाजपा और कांग्रेस रातों की नींद उड़ा रखी है। चुनाव का बिगुल बज चुका है इसी के साथ कांग्रेस और भाजपा दोनो पूरे दमखम से लग गई है। भाजपा का विजय रथ अब तक तकरीबन सभी राज्यों में जीत हासिल कर चुका है। वो अलग बात है कि गोरखपुर और फूलपुर चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी। शायद यहीं वजह है कि भाजपा अब कोई कसर नही छोड़ना चाहती।
जेडीएस का कोई भी नेता उनके साथ नहीं था
तो कांग्रेस भी पूरे फार्म में है। कर्नाटक चुनाव का बिगुल बज चुका है। 12 मई को वोट डाले जाने हैं। चुनाव प्रचार के लिए बीजेपी और कांग्रेस पसीना बहा रही है। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जब कर्नाटक के टुमकुर में रोड शो कर रहे थे। उसी वक्त जिला मुख्यालय से करीब 69 किलोमीटर दूर पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारास्वामी अप्रैल की चिलचिलाती धूप में पार्टी के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे। कुमारास्वामी अकेले थे। जेडीएस का कोई भी नेता उनके साथ नहीं था।
किसी के सहयोग और सलाह के वो आगे बढ़ रहे हैं
फिर भी उन्हें सुनने के लिए राहुल गांधी के रोड शो से ज्यादा भीड़ पहुंची थी। ऐसे में दोबारा सत्ता में आने की कोशिश में जुटी कांग्रेस की रातों की नींद उड़ गई है। कुमारास्वामी की रैली में न तो ग्लैमर था और न ही टेक्नोलॉजी। जैसा कि आमतौर पर राज्य की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस और विपक्षी दल बीजेपी की रैली में देखा जाता है। लेकिन, जनता का समर्थन हो तो, ग्लैमर और टेक्नोलॉजी की कमी अपने आप पूरी हो जाती है। कर्नाटक की राजनीति में कुमारास्वामी ऐसे खिलाड़ी हैं, जो अकेले जीत की लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। बिना किसी के सहयोग और सलाह के वो आगे बढ़ रहे हैं।
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पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के तीसरे बेटे एचडी कुमारास्वामी कर्नाटक की राजनीति में ‘कुमारअन्ना’ के नाम से जाने जाते हैं। साल 2006 में पारिवारिक कलह के बीच कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार का तख्तापलट कर वो पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 20 महीनों तक उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन कर शासन किया। तब उन्हें कर्नाटक के पिछले 40 सालों के दौरान सबसे सुलभ मुख्यमंत्री माना जाता था। दो महीने पहले सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ये मानकर चल रहे थे कि जेडीएस से उसे कोई टक्कर नहीं मिलने वाली। लेकिन, चीजें बदल रही हैं।
75 विधानसभा सीटों पर सीधा मुकाबला है
कुमारास्वामी लगातार सही दिशा में मेहनत कर रहे हैं। इससे कांग्रेस की चिंता बढ़ रही है। कुमारास्वामी को जनता का जैसा समर्थन मिल रहा है, उससे ओल्ड मैसूर में चीजें बदल सकती हैं। यहां गौड़ाओं की हमेशा से मजबूत पकड़ रही है। बीजेपी भी दबी जुबान से ओल्ड मैसूर क्षेत्र में जेडी (एस) के लिए बड़ी जीत की उम्मीद कर रही है, क्योंकि ऐसा होने पर राज्य में कांग्रेस का कुल आंकड़ा कम हो जाएगा। कांग्रेस और जेडी(एस) के बीच करीब 75 विधानसभा सीटों पर सीधा मुकाबला है।
बाप-बेटे दोनों मिलकर इसकी कोशिश में जुटे हैं
कांग्रेस और बीजेपी बाकी हिस्सों में आसमने-सामने हैं। बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में 224 सीटें हैं। राज्य के मैसूर, हासान, मांड्या, टुमकुर और यहां तक कि बेंगलुरु के बाहरी इलाकों में हुई कुमारास्वामी की रैलियां भारी भीड़ जुटाने में कामयाब रही। राजनीति विश्लेषकों और कुमारास्वामी के विरोधियों की इसपर जरूर नजर पड़ी होगी। देवगौड़ा के पुराने सहयोगी प्रोफेसर सी. नरसिम्हप्पा के मुताबिक, जेडीएस के साथ वोक्कलिंगा वोटों की एक बड़ी संख्या है, जो राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बना सकती है। बाप-बेटे दोनों मिलकर इसकी कोशिश में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि अगर जेडीएस को बीजेपी की टीम बी बताने वाला राहुल गांधी और सिद्धारमैया के आरोपों में थोड़ी बहुत भी सच्चाई है, तो भगवा पार्टी यानी बीजेपी कभी नहीं चाहेगी कि कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा बने।
ऐसे में बीजेपी की कोशिश होगी कि जेडीएस कांग्रेस के वोट पर सेंध डाले, जहां उसकी पकड़ कमजोर है। 2006-2007 में कुमारास्वामी के साथ की गई ’20-20 एक्पेरिमेंट’ की यादें बीजेपी नेतृत्व अभी भूली नहीं होगी। ऐसे में बीजेपी इस बार कोई प्रयोग करने के मूड में नहीं दिख रही। कुमारास्वामी ने कहा, “जेडीएस के पक्ष में चीजें जा रही हैं। रैलियों में भारी तादाद में जुट रही लोगों की भीड़ इसका सबूत है। मेरी लोकप्रियता सिद्धारमैया और येदियुरप्पा से कहीं ज्यादा है।
कुमारास्वामी चुनाव के लिए कमर कस चुके हैं
पहले हो चुकी कई सर्वे में ये बात साबित भी हो चुकी है। मैं जनता के करीब हूं और वे मेरा साथ जरूर देंगे।”लेकिन, ज्यादा भीड़ का मतलब ज्यादा वोट मिलना नहीं होता। जेडीएस के एक नेता का कहना है, “कुमार अन्ना फिल्म स्टार की तरह हैं। लोग उन्हें इसलिए देखने आते हैं, क्योंकि वो एक संवेदशील और विनम्र इंसान हैं। वो जमीन से जुड़े हुए हैं। पूर्व पीएम देवगौड़ा के बेटे हैं। लेकिन इन सबका ये मतलब नहीं है कि कुमारास्वामी को देखने आने वाली जनता चुनाव में उनके लिए वोट भी करेगी। “बहरहाल, जो भी हो, फिल्म प्रोड्यूसर रह चुके कुमारास्वामी चुनाव के लिए कमर कस चुके हैं। उनका कहना है कि उन्हें जीतने का पूरा भरोसा है। विपक्ष क्या कहता है, इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता।
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