‘बीत गए 4 साल, नहीं आया लोकपाल कब तक बजाओगे झूठी ताल ?’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिर से हमला बोला है और पूछा है कि आपकी सरकार के चार साल तो बीत गए, लोकपाल कब लाओगे? उन्होंने लोकपाल बिल के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी के एक पुराने ट्वीट को शेयर करते हुए काव्यत्मक लहजे में लिखा है, “बीत गए चार साल, नहीं आया लोकपाल, जनता पूछे एक सवाल , कब तक बजाओगे ‘झूठी ताल’?” इसके साथ ही राहुल गांधी ने पूछा है, “क्या लोकतंत्र के रक्षक और जवाबदेही के अग्रदूत सुन रहे हैं?” राहुल गांधी ने पीएम मोदी के जिस ट्वीट को शेयर किया है, वह 18 दिसंबर, 2013 का है, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और 2014 के चुनावों में भाजपा के स्टार प्रचारक और पीएम पद के उम्मीदवार थे।
बीत गए चार साल
नहीं आया लोकपाल
जनता पूछे एक सवाल
कब तक बजाओगे 'झूठी ताल'?Are the ‘defenders of democracy’ & ‘harbingers of accountability’ listening?#FindingLokpal pic.twitter.com/v9Kc2Io3Ur
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 5, 2018
4 साल बीत गए लेकिन नहीं आया लोकपाल बिल
इस ट्वीट में मोदी ने तब लिखा था, “लोकपाल बिल को पास नहीं होने देने में सुषमा स्वराज और अरुण जेटली की अगुवाई में भाजपा सांसदों के सकारात्मक और सक्रिय योगदान से बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।” बता दें कि बीजेपी शुरू से ही भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए लोकपाल बिल का समर्थन करती रही है।
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जब संसद में मनमोहन सिंह की सरकार ने लोकपाल बिल लाया था तब बीजेपी ने यह कहकर विरोध किया था कि लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री को नहीं लाया गया है। यानी बीजेपी प्रधानमंत्री पद को भी लोकपाल के दायरे में लाना चाहती थी लेकिन मोदी सरकार के चार साल पूरे होने को हैं, अभी तक सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुई है।
यूपीए के कार्यकाल के दौरान सुषमा स्वराज ने किया था लोकपाल का विरोध
गौरतलब है कि जब यूपीए सरकार ने लोकसभा में लोकपाल बिल पेश किया था तब विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बिल का विरोध करते हुए कहा था कि सरकार ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में नहीं लाकर संविधान का उल्लंघन किया है। स्वराज ने यह भी दलील दी थी कि भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक कानून में जब प्रधानमंत्री को कोई छूट हासिल नहीं है तो लोकपाल बिल के प्रावधानों में प्रधानमंत्री को यह छूट कैसे दी जा सकती है? हालांकि, सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को इसके दायरे में लाया गया था। तब सुषमा स्वराज ने लोकपाल बिल में कई संशोधनों की बात सदन को सुझाई थी।
(साभार- जनसत्ता)