ये है देश की भांगड़ा गर्ल, जिन्होंने बदली समाज की सोच
ढोल या भागड़ा की थाप सुनते ही हाथ पैर अपने आप ही थिरकने लगते हैं और अगर ढोल बजाने वाले की कल्पना करें तो वही पंजाबी पारम्परिक परिधान जिसमें एक पुरुष ढोल को संगीत देता है। लेकिन जरा रुकिये यहां आपकी कल्पना में थोड़े बदलाव की जरुरत है..
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ढोल में पुरुषों को भी पछाड़ दिया है
क्योंकि यहां हम बात कर रहे है एक ऐसी महिला की जिसने ढोल बजाने वाले परम्परा को ही उलट कर रख दिया है। हम बात कर रहे हैं पर्व कौर कि जिन्होंने ढोल में पुरुषों को भी पछाड़ दिया है। पर्व के पिता का एक बैंड था जिसमे उनके पिता और चाचा भी शो करते थे।
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प्रोत्साहन से मेहनत और जुनून के साथ लग गई
इस दौरान छोटी सी उम्र में ही वे ढोल और संगीत की बारीकियों को सीख रही थीं। पर्व का संगीत के प्रति ये झुकाव देखकर उनके पिता और भाई ने भी उन्हे प्रेरित किया। क्योंकि ढोल के क्षेत्र में महिलाएं न के ही बराबर थी। अपने परिवार के प्रोत्साहन से मेहनत और जुनून के साथ लग गई।
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घर घर जाकर प्रचार करना शुरु किया
उन्होंने 1999 से ईटरनल ताल की शुरुआत की। तीन सदस्यों से शुरु हुई किया गया ये बैंड जिसका प्रचार करने के लिए घर घर जाकर प्रचार करती हैं। मीडिया को दिये साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि महिलाओं को भी भांगड़ा इंडस्ट्री में बराबरी का मुकाम हासिल हो इसके लिए उन्होंने इसका घर घर जाकर प्रचार करना शुरु किया।
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ए दिल है मुश्किल जैसी फिल्मों से नई पहचान मिली है
कई लड़कियां आगे तो आईं पर उन्होंने शर्म के कारण या तो बीच में छोड़ दिया या सीखने में दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। बावजूद इसके पर्व कौर हिम्मत नहीं हारी और वो आगे आईं और लड़कियों को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करती रहीं। जिसका नतीजा ये निकला कि आज उनके संरक्षण में कई लड़कियां भांगड़ा का प्रशिक्षण ले रही हैं। ईटरनल ताल कई फिल्मों में जैसे यमला पगला दीवाना, शानदार और ए दिल है मुश्किल जैसी फिल्मों से नई पहचान मिली है।
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