राष्ट्रपति मुर्मू ने की CJI के हिंदी भाषा में भाषण देने की तारीफ, न्याय के लिए भाषा महत्वपूर्ण

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सुनिश्चित न्याय के लिए अंग्रेजी भाषा के साथ हिंदी भाषा का ज्ञान जरूरी है। कभी-कभी न्याय सही भाषा में नही किया गया हो तो न्याय की स्थित में प्रभाव पड़ता है। झारखंज उच्च न्यायालय के नये भवन के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कुछ इस तरह न्याय की परिभाषा को विश्लेषित किया। ये मौका था जब राष्टपित मुर्मू कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी।

उद्घाटन में सीजेआई ने हिंदी में दिया भाषण

रांची में बुधवार को झारखंड उच्च न्यायालय के नए भवन के उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित था। जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सीजेआई की खूब चर्चा हो रही है।  झारखंड उच्च न्यायालय के नव भवन के उद्घाटन के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने हिंदी भाषा में भाषण दिया। इसपर कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हिंदी भाषा में भाषण देने के लिए उनकी तारीफ की। राष्ट्रपति मुर्मू ने सीजेआई के हिंदी बोलने पर पर खुशी जताते हुए कहा कि सुनिश्चित न्याय तक पहुंचने के लिए भाषा महत्वपूर्ण है। द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम में हिंदी भाषा के महत्व के बारे में बताया।

राष्ट्रपति ने सीजेआई को हिंदी के लिए धन्यवाद कहा

बता दें, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्य न्यायाधीश को हिंदी बोलने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने न्याय के दरबार में विभिन्न भाषाओं के महत्व को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई भाषाओं में काम करने की शुरुआत की है। यह जरूरी भी है। झारखंड के लोग अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषाओं में सहज हैं।

द्रौपदी मुर्मू ने साझा किया पुराना वाक्या

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि मैं गांव में एक ऐसी समिति से जुड़ी थी जो यह देखती थी कि कोर्ट के फैसले के बाद परिवार किस हाल में है। उस वक्त पता चला कि जमीनी हकीकत कुछ और ही। कोर्ट में फैसला आने के बाद भी लोगों को न्याय नहीं मिला था। फैसले पर अमल नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोगों की सूची आज भी मेरे पास है, जिसे मैं भारत के प्रमुख न्यायाधीश को भेजूंगी। कोर्ट न्याय का मंदिर है, लोग इसे विश्वास के साथ देखते हैं। कोर्ट के पास यह ताकत है कि वह न्याय दे सके। लोगों को उनके अधिकार दे सकें।

सीजेआई ने कहा- सामान्य व्यक्ति को न्याय दिलाना लक्ष्य

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय प्रणाली का लक्ष्य सामान्य व्यक्ति को न्याय दिलाना है। देश में आज अनगिनत कचहरियां हैं, जहां महिलाओं के लिए शौचालय भी नहीं है। न्याय व्यवस्था को समाज के हर नागरिक तक पहुंचना होगा। तकनीक के माध्यम से हम अपने कार्य को सामान्य लोगों को जोड़ सकेंगे।

न्यायालय में किया जा रहा निर्णयों का हिंदी अनुवाद 

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के सात साल के मेरे निजी अनुभव में सजा होने से पहले गरीब लोग कई दिनों तक जेल में बंद रहते हैं। अगर न्याय जल्दी नहीं मिले तो उनकी आस्था कैसे बनी रहेगी। जमानत के मामलों में प्रत्यक्ष रूप में हमें इस मामले में हमें ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिला न्यायालय को बराबरी देने की जरूरत है। जिला न्यायालय की गरिमा नागरिकों की गरिमा से जुड़ी है। सर्वाेच्च न्यायालय ने हिंदी भाषा में निर्णयों का अनुवाद किया है। यही उम्मीद उच्च न्यायालय से भी करता हूं। लाइव स्ट्रीम से कोर्ट रूम को हर घर में ले जाना बेहतर है।

देश का सबसे बड़ा न्यायालय है झारखंड हाईकोर्ट

गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने बुधवार को झारखंड उच्च न्यायालय की जिस बिल्डिंग का उद्घाटन किया। वह पूरे देश में अब तक का सबसे बड़ा न्यायिक परिसर है। 165 एकड़ क्षेत्र में फैले इस परिसर के 72 एकड़ क्षेत्र में उच्च न्यायालय बिल्डिंग सहित वकीलों के लिए आधारभूत संरचना तैयार की गई है।

 

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