‘चाय’ के बाद अब ‘पकौड़े’ के जरिये 2019 की राजनीति तलने की तैयारी

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आशीष बागची

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में ही एक न्यूज चैनल को एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्‍होंने कहा कि अगर कोई पकौड़े वाला दिन में 200 रुपए कमाता है तो क्या ये रोजगार नहीं है? प्रधानमंत्री का यह बयान सामने आया कि पकौड़े के जरिये राजनीति तलने की क्रिया-प्रतिक्रिया शुरू हो गयी।

पकौड़े बेचना परिश्रम से पैसा कमाना…

देखते ही देखते देश की वर्तमान राजनीति में ‘पकौड़े’ ने एक अहम जगह ले ली। पिछले कुछ समय से भाजपा और विपक्षी पार्टियों के बीच जिस तरह से बयानबाजी हो रही है उसमें पकौड़े की भूमिका से इन्‍कार नहीं किया जा सकता है। दरअसल सोमवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया। यहां उन्होंने कहा कि “बेरोजगारी से अच्छा है कि पकौड़े बेचना, परिश्रम से पैसे कमाना…।”

विपक्ष को तो सिर्फ मौका चाहिये। उसे मौका मिल गया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के कार्यकर्ता पकौड़े को लेकर भाजपा को घेरने में जुट गये। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में कांग्रेस ने ‘पकौड़ा प्रदर्शन’ का आयोजन किया। वे ‘शिक्षित बेरोजगार पकोड़ा सेंटर’ भी खोल रहे हैं। पांच रुपए प्लेट के दाम पर ‘जेटली पकौड़ा’ और ‘रमन पकौड़ा’ बेचा जा रहा है।

लोकसभा चुनाव में पकौड़ा बड़ा मुद्दा बनेगा

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में चाय पर चर्चा के जरिये भाजपा ने अपार बहुमत हासिल किया था। इस तरह साफ है कि अब 2019 के लोकसभा चुनाव में पकौड़ा बड़ा मुद्दा बनेगा।इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पकौड़ा को लेकर की गई टिप्पणी के विरोध में समाजवादी पार्टी (एसपी) ने भी बरेली के तुलसी पार्क में रविवार को ‘पीएम पकौड़ा ट्रेनिंग सेंटर’ शुरू किया। पार्टी ने उच्च डिग्रीधारी युवकों को पकौड़ा बनाना सिखाने के लिए बुलाया। इनमें कुछ युवक एमटेक, पीएचडी, एमकॉम और एमबीए जैसी डिग्री ले चुके हैं। इस दौरान उन्होंने बैनर भी लगाए जिसमें लिखा था हर साल दो करोड़ की नौकरियां भजिया बेचने को मजबूर..मौके पर पार्टी के कुछ नेताओं ने पकौड़े भी बनाकर अपना विरोध दर्शाया।

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इसके पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार को बेंगलुरू में हुई रैली स्थल से कुछ ही मीटर की दूरी पर कॉलेज के कुछ छात्रों के एक समूह ने पकौड़ा बेचा। छात्रों ने वहां आने-जाने वालों तथा रैली में जा रहे लोगों को ‘मोदी पकौड़ा’, ‘अमित शाह’ पकौड़ा तथा ‘डॉ. येद्दि’ (कर्नाटक भाजपा प्रमुख बीएस येदियुरप्पा) पकौड़ा बेचा।

समाजवादी पार्टी ने रामपुर में पकौड़ा प्रदर्शन आयोजित किया था। खास बात ये रही कि यहां सपा नेता आजम खान भी मौजूद थे। इस मौके पर भी पार्टी नेताओं ने पकौड़े तलकर अपना विरोध दर्ज कराया।

पूर्व वित्‍तमंत्री पी चिदंबरम ने अपने पकौड़ा वाले बयान पर कहा कि हालांकि पकौड़ा बेचना एक सम्‍मानित पेशा हो सकता है पर यह कोई नौकरी नहीं है। कोई भी स्‍नातक पास युवा अपनी इच्‍छा से यह काम नहीं करना चाहेगा।

हर साल एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया था

जाहिर है कि देश की राजनीति में पकौड़ा तेजी से केंद्रीय भूमिका ले चुका है। नरेंद्र मोदी व अमित शाह के पकौड़ा संबंधी बयानों के विरोध की वाजिब वजहें भी हैं। नरेन्द्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त हर साल एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वास्तविकता कुछ और ही है। अगर सिर्फ 2017 की बात करें तो सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में सिर्फ 20 लाख नौकरियां मिलीं। यही वजह है कि जब पकौड़ा का नाम पीएम ने लिया तो भारतीय राजनीति में फिलहाल केंद्रीय भूमिका में आ गयी।

अब देखना दिलचस्‍प होगा कि 2014 में ‘चाय’ के बाद 2019 में ‘पकौड़ा’ देश की राजनीति में भाजपा को पुन: शीर्ष पर पहुंचाता है या नहीं।

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