हार को पचा नहीं पा रहे पीएम मोदी, हुआ गहरा असर
दैवीय शक्तियों से अभिभूत मानते हुए खुद को बता रहे हैं अविनाशी
संविधान से देश चलेगा या मन मर्जी से, तय करेगा यह चुनाव परिणाम
वाराणसी में अखिल भारतीय कांग्रेस की सोशल मीडिया चेयरमैन सुप्रिया श्रीनेत ने कहा बाबा विश्वनाथ के घर में हूं. शिव शाश्वत और अविनाशी हैं. हमारे धर्म में अजर, अमर, अनंत, अविनाशी सिर्फ और सिर्फ शिव हैं, लेकिन अब छठवें चरण के चुनाव के बाद जब हार सामने दिख रही है तो इस देश के प्रधानमंत्री और यहां के सांसद जिनकी जल्द ही विदाई होने वाली है. उन्होंने न ही सिर्फ अपने को ईश्वर का दूत कहा बल्कि दैवीय शक्तियों से अभिभूत मानते हुए खुद को अविनाशी भी बता डाला है. मेरा मानना है कि हार का बेहद गहरा असर पीएम मोदी पर हुआ है. मुझे चिंता है कि आगामी हार को वह पचा नहीं पाएंगे.
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि तमाम चुनाव हम देख चुके हैं. किसी की जीत होती है तो किसी की हार. इस बार का चुनाव खास है जो तय करेगा की देश संविधान से चलेगा या किसी की मर्जी से. आगामी पांच साल तक युवाओं, बुजुर्गों, किसानों, महिलाओं की बात सुनी जाएगी या चंद पूंजीपतियों की लिए नीति निर्धारण होगा. देश का लोकतंत्र जीवित रहेगा या एक तानाशाह के सामने दम तोड़ देगा. यह चुनाव इस देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा और आम आदमी के हक-ए-हुकूक की लड़ाई है. इस लड़ाई को जिस तरह गठबंधन लड़ रहा है उसके लिए मैं उसे कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं.
10 साल बाद भी पीएम मोदी करते हैं हिंदू-मुसलमान
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 10 साल इस देश ने भाजपा और पीएम मोदी को प्रचंड बहुमत दिया. काशी ने सांसद भी चुना, लेकिन 10 साल बाद भी विकास व रोजगार की बात नहीं, प्रधानमंत्री हिंदू और मुसलमान कर रहे हैं. पहले चरण में मीट, मुर्गा, मछली, दूसरे चरण में वह महिलाओं और मंगलसूत्र पर आ गए और भैंस पर पहुंच गए. तीसरा चरण आते-आते अपनी आंखों की पुतली, अपने सबसे अजीज अडानी के लिए कहने लगे कि बोरों में भर कर टेंपो पर लाद कर काला धन बांटते हैं.
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‘मुजरा’ शब्द का इस्तेंमाल कर पीएम ने किया महिलाओं का अपमान
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह सब क्या लेवल और स्तर बना लिया प्रधानमंत्री ने अपना. छठां चरण आते-आते प्रधानमंत्री ने अपनी गरिमा को ऐसा धो दिया जो आज तक किसी ने नहीं किया. अपनी हारी हुई बाजी की अंतिम चाल चल रहे पीएम मोदी इतनी घिनौनी राजनीति पर उतर आए कि मुजरा शब्द का प्रयोग प्रधानमंत्री ने चुनावी मंच से एक बार नहीं बार-बार किया. क्या हम नहीं जानते कि मुजरा शब्द किसके लिए है. महिला के लिए होता है. क्या देश की आधी आबादी के प्रति वह इस तरीके की भाषा का प्रयोग करेगें, किस तरीके के स्तर और भाषा पर उतर गए है प्रधानमंत्री.