भेदभावपूर्ण है मुस्लिम महिलाओं की हज यात्रा की रोक : पीएम मोदी

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तीन तलाक के खिलाफ लोकसभा से बिल पारित किए जाने के ठीक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हज यात्रा को लेकर मुस्लिम महिलाओं के हक में आवाज उठाई है। पुरुष अभिभावक के बिना महिलाओं के हज यात्रा पर रोक को भेदभाव और अन्याय बताते हुए पीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने इसे खत्म कर दिया है। पीएम ने साल के अंतिम ‘मन की बात’ में कहा कि मुस्लिम महिलाएं अब पुरुषों के बिना भी हज यात्रा पर जा सकती हैं।

गौरतलब है कि नई हज नीति के तहत 45 साल की उम्र पार कर चुकी चार या उससे अधिक मुस्लिम महिलाएं बिना मेहरम एक साथ हज यात्रा पर जा सकती हैं। मेहरम यानी जिससे महिला का निकाह नहीं हो सकता, मसलन- पिता, सगा भाई, बेटा और पौत्र-नवासा। अब तक हज पर जाने के लिए महिला यात्रियों के साथ मेहरम की जरूरत होती थी। कई उलेमा मुस्लिम महिलाओं के अकेले हज पर जाने को शरीयत के खिलाफ बताते हैं।

पीएम ने कहा, ‘हाल में ही मुझे पता चला था कि यदि कोई मुस्लिम महिला हज यात्रा पर जाना चाहती है तो वह किसी मर्द सदस्य के बिना नहीं जा सकती। मैं इस पर हैरान था कि यह कैसा भेदभाव है। लेकिन अब वे अकेली हज यात्रा पर जा सकती हैं। हमने यह नियम बदला और इस साल 1300 मुस्लिम महिलाओं ने बिना किसी पुरुष सदस्य के हज यात्रा पर जाने के लिए आवेदन किया।’

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पीएम ने कहा, ‘हमारी सरकार ने हज यात्रा के दौरान किसी मुस्लिम महिला के पुरुष अभिभावक के बगैर जाने की पाबंदी जिसे ‘मेहरम’ भी कहा जाता है, उसे संज्ञान में लिया है। आजादी के 70 साल बाद भी यह भेदभाव कायम था। मैं हैरान था कि यह अन्याय कैसे हो सकता है। और जब मैंने इस बारे में पता किया तो मुझे पता चला कि वह हम लोग ही हैं, जिन्होंने महिलाओं के अकेले हज पर जाने पर रोक लगा रखी है। कई मुस्लिम देशों में भी ऐसा नहीं होता। हमने इस परंपरा को हटा दिया। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को मैंने सुझाव दिया है कि अकेले अवेदन करने वाली संभी महिलाओं को हज यात्रा पर भेजा जाए। वैसे तो हज पर लॉटरी सिस्टम के तहत भेजा जाता है, लेकिन मैंने कहा है कि अकेले आवेदन करने वाली महिलाओं के लिए लॉटरी से अलग व्यवस्था की जाए।’

पीएम ने कहा कि महिलाओं को पुरुषों के बाराबर अधिकार मिले ताकि प्रगति के पथ पर वह भी साथ आगे बढ़ें। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री इससे पहले ट्रिपल तलाक के खिलाफ भी आवाज उठा चुके हैं। उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रिपल तलाक को अवैध बताए जाने के बाद संसद में कानून पारित कराने में जुटी है।

(साभार-नवभारत टाइम्स)

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