’40 हजार परिवार को डुबो कर’ गुजरात चुनाव जीतेंगे मोदी !
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पोलिट ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद सुभाषिणी अली को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगर आधुनिक ‘नीरो’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि 17 सितंबर को जब गुजरात में उनके जन्मदिन पर सरकारी जश्न मन रहा होगा, मध्यप्रदेश में 40 हजार परिवार डूब रहे होंगे।
जन्मदिन के लिए चालीस हजार परिवारों को डुबाया जा रहा है
सुभाषिणी शुक्रवार को जब मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के डूब प्रभावित इलाकों में पहुंचीं तो उनकी आंखें नम हो गईं। उन्होंने रोष भरे अंदाज में कहा, “बचपन में रोम के राजा नीरो की कहानी सुनी थी कि उसने अपने जन्मदिन पर रोशनी के लिए कुछ लोगों को जिंदा जला दिया था, मगर जीवन में पहली बार देख रही हूं कि भारत जैसे संवदेनशील और मानवता के पैरोकार देश के प्रधानमंत्री के जन्मदिन के लिए चालीस हजार परिवारों को डुबाया जा रहा है।”
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जन्मदिन पर इस बांध का लोकार्पण होना प्रस्तावित है
नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने के साथ मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में बसे 192 गांव और एक नगर धीरे-धीरे डूबने लगे हैं। 17 सितंबर को गुजरात में होने वाले समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर इस बांध का लोकार्पण होना प्रस्तावित है। उसके बाद इन गांवों और नगरों का पूरी तरह डूबना तय है। अभी तक न तो पूरी तरह विस्थापन हुआ है और न ही पुनर्वास का समुचित इंतजाम।
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देश के 40 हजार परिवारों की जिंदगी और रोजी-रोटी संकट
डूब प्रभावितों का हाल जानने बड़वानी पहुंचीं सुभाषिणी अली ने मीडिया से कहा, “देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन का जश्न मनाने जा रहे हैं, इसमें न तो किसी को आपत्ति है और न ही बुराई, मगर उस दिन जो घटित होने वाला है, वह मोदी को आधुनिक नीरो जरूर साबित कर देगा, क्योंकि नीरो के बाद ऐसे किसी भी राजा या प्रधानमंत्री का उदाहरण नहीं मिलता, जिसने अपने जन्मदिन पर अपने ही देश के 40 हजार परिवारों की जिंदगी और रोजी-रोटी संकट में डाली हो।”
समाधि स्थल राजघाट भी डूब चुका है
उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य है कि एक राज्य का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने ही राज्य के लोगों को डुबाने में सहमति जता चुका है, इतना ही नहीं, राज्य के कई बांधों के गेट खोल दिए गए हैं, जिससे नर्मदा नदी में ज्यादा पानी आए और सरदार सरोवर का जलस्तर बढ़ जाए। इससे घाटी के वे गांव डूब चले हैं, जहां अब भी बसाहट है। महात्मा गांधी के अस्थिकलश का समाधि स्थल राजघाट भी डूब चुका है।”
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प्रधानमंत्री मोदी में इंसानियत है ही नहीं
वह आगे कहती हैं, “दुनिया में कहीं भी ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिलेगा, जहां उसी देश के प्रधानमंत्री ने चुनावी फायदे के लिए अपने ही लोगों की जिंदगी तबाह कर दी हो, इससे साबित होता है कि प्रधानमंत्री मोदी में इंसानियत है ही नहीं।”
मगर मेरी कुर्सी बची रहे, यही उनका मकसद है
सुभाषिणी अली का मानना है, “मोदी गुजरात में नर्मदा नदी का पानी पहुंचाकर चुनाव जीतना चाहते हैं, इसके एवज में भले ही मध्यप्रदेश के एक बड़े हिस्से में तबाही मच जाए। वहीं दूसरी ओर, अपना राजनीतिक हित बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज मौन साधे हुए हैं। तबाही होती है तो हो जाए, मगर मेरी कुर्सी बची रहे, यही उनका मकसद है।”
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देश ऐसे व्यक्ति को कभी माफ नहीं करेगा
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, “दुख तो इस बात का है कि यह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है, जिससे इतना बड़ा क्षेत्र, संस्कृति, स्मृति और धरोहरें प्रभावित हो रही हैं, बल्कि एक व्यक्ति की जिद के लिए ऐसा हो रहा है। यह देश ऐसे व्यक्ति को कभी माफ नहीं करेगा।”
प्रधानमंत्री के अलावा उनका जन्मदिन मनाने को कोई और तैयार नहीं
उत्तर प्रदेश की चर्चा करते हुए सुभाषिणी ने कहा कि प्रधानमंत्री के अलावा उनका जन्मदिन मनाने को कोई और तैयार नहीं है, यही कारण है कि 17 सितंबर को अवकाश होने के बावजूद प्रदेश की योगी सरकार ने स्कूलों को खोलने के आदेश दिए हैं, और बच्चों को स्कूल आने को कहा गया है।
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