Paush Purnima 2024: मौसम पर आस्था भारी, संगम पर उमड़ा जनसैलाब
माघ मेला का दूसरा स्नान आज
Paush Purnima 2024: संगम तट पर आज लगे माघ मेले में पौष पूर्णिमा का दूसरा स्नान पर्व मनाया जा रहा है. इस खास मौके पर धर्म नगरी प्रयागराज में संगम के तट पर पड़ रही भीषण ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं द्वारा स्नान के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा है. इस पावन मौके पर हजारों श्रद्धालुओं में मां गंगा के जल में आस्था की डुबकी लगाई. इसके साथ ही इस खास मौके पर संगम आज साधु – संत समेत तकरीबन दस लाख तक लोग स्नान दान करने वाले हैं. आपकों बता दें कि पौष पूर्णिमा के स्नान का समय आज सुबह चार बजे से शुरू हो गया है.
आस्था का पर्व पौष पूर्णिमा
माघ मेले के दूसरे स्नान पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को देखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं. संगम तट पर पुलिस, पीएसी, पैरामिलिट्री फ़ोर्स के साथ-साथ एटीएस के कमांडो भी संदिग्ध व्यक्तियों व सामान पर निगरानी रख रहे हैं. इसके स्नान के बाद से कल्पवास की विधिवित शुरुआत के साथ तम्बुओं की अनूठी नगरी पूरी तरह से नष्ट कर दी जाएगी. श्रद्धालु संयम का पालन करते हुए मोक्ष चाहेंगे. बता दें कि माघ में हर साल लाखों लोग मोह-माया को छोड़कर एक महीने तक तंबुओं की नगरी में कल्पवास करने आते हैं.
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–#प्रयागराज: माघ मेले का दूसरा स्नान पर्व पौष पूर्णिमा आज
ब्रह्म मुहूर्त से ही संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब#पौषपूर्णिमा के स्नान पर्व से कल्पवास की शुरूआत
सुरक्षा के लिए भी किए गए चाक चौबंद इंतजाम#Prayagraj #uppolice #PaushPurnima @Uppolice pic.twitter.com/ABA6C0UYFV— Journalist Cafe (@journalist_cafe) January 25, 2024
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33 करोड़ देवी-देवता रहते हैं संगम की रेती पर
कल्पवास का एकमात्र स्थान प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर ही होता है. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि पौष पूर्णिमा के दिन से एक महीने तक 33 करोड़ देवी-देवता संगम की रेती पर रहते हैं. इस दौरान संगम की रेती पर कल्पवास करने वाले को मोक्ष मिलता है और उन्हें जीवन-मरण के बंधनों से छुटकारा मिलता है. पौष पूर्णिमा को मनाने के लिए एक दिन पहले लाखों लोग माघ मेला क्षेत्र में पहुंच चुके हैं. इस दौरान शाम को गंगा की विशेष आरती की जाएगी. माघ मेले के डीआईजी राजीव नारायण मिश्र ने कहा कि दूसरे स्नान पर्व की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. बेहतर सुविधाओं के साथ-साथ पर्याप्त सुरक्षा भी श्रद्धालुओं को दी जाती है.