बच्चों के इंटरनेट उपयोग में अब माता-पिता की सहमति अनिवार्य
सरकारी डिजिटल मसौदा तैयार
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का मसौदा जारी किया, जिसमें बच्चों द्वारा कोई भी एकाउन्ट बनाने से पहले इंटरनेट मीडिया या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को माता-पिता की सहमति अनिवार्य कर दी गई है. इसके लिए माता-पिता की पहचान और आयु को सरकार द्वारा अधिकृत किसी संस्था के प्रमाणपत्र के माध्यम से सत्यापित कराना होगा.
14 महीने पहले विधेयक को मिली थी मंजूरी
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2023 को 14 महीने पहले संसद से मंजूरी मिली थी. मसौदे में डाटा फिड्यूशियरी पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान था, लेकिन वर्तमान मसौदे में इसका उल्लेख नहीं है.
मसौदे के अनुसार क्या होंगे नियम?
• कोई भी संस्था तभी व्यक्तिगत डेटा का उपयोग कर सकेगी जब व्यक्ति अपनी स्वीकृति सहमति प्रबंधक को देगा. सहमति प्रबंधक को स्वीकृति रिकॉर्ड का प्रबंधन करने का दायित्व होगा. सहमति प्रबंधक स्वीकृति के रिकॉर्ड का प्रबंधन करेगा.
• बच्चों के डेटा प्रसंस्करण के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी. डिजिटल प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना होगा कि माता-पिता के रूप में पहचान करने वाला व्यक्ति वयस्क है और किसी भी कानुनी अनुपालन में उसकी पहचान की जा सकती है.
• बार-बार उल्लंघन होने पर सहमति प्रबंधक का रजिस्ट्रेशन निलंबित या रद्द किया जा सकता है. हालांकि, मसौदे में किसी दंडात्मक कार्रवाई का स्पष्ट उल्लेख नहीं है.
• यह मसौदा फिलहाल 18 फरवरी तक सार्वजनिक परामर्श के लिए ‘माईगाव’ वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसके बाद अंतिम नियम बनाए जाएंगे.
• डाटा फिड्यूशियरी को नियमों का पालन अनिवार्य: डिजिटल डाटा संरक्षण अधिनियम 2023 के तहत डाटा फिड्यूशियरी को केवल सहमति प्राप्त अवधि तक डाटा रखने की अनुमति होगी. सहमति समाप्त होने या समय सीमा पूरी होने के बाद डाटा को अनिवार्य रूप से हटा देना होगा. बच्चों के डाटा के लिए माता-पिता की सहमति प्राप्त करना अनिवार्य है. डाटा फिड्यूशियरी को उचित तकनीकी और संगठनात्मक उपाय करने होंगे ताकि डाटा का गलत उपयोग न हो. ई-कॉमर्स, इंटरनेट मीडिया और गेमिंग प्लेटफॉर्म डाटा फिड्यूशियरी की श्रेणी में आएंगे.
क्या है डाटा फिड्यूशियरी?
भारत का डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 में प्रस्तुत किया गया था. अगस्त 2023 में इसे संसद के दोनों सदनों से स्वीकृति प्राप्त होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसे भारत के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP अधिनियम) के रूप में अंतिम रूप दिया गया. यह कानून 11 अगस्त, 2023 से लागू हुआ.
DPDP अधिनियम 2023 के तहत, डाटा फिड्यूशियरी उन संस्थाओं या संगठनों को कहा जाता है जो नागरिकों का व्यक्तिगत डेटा एकत्रित, उपयोग और प्रबंधन करते हैं. इसमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया साइट्स, मोबाइल ऐप, और अन्य डिजिटल सेवाएं शामिल हैं.