‘पैरा लीगल वालंटियर’ समाज के शोषित वर्ग की आवाज
राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग ने कहा कि पैरा लीगल वालंटियर समाज के वंचित एवं शोषित वर्ग के लिए प्रकाश की किरण की तरह हैं, जो उनके जीवन के अंधकार को दूर कर उनमें आशा का संचार करते हैं। न्यायमूर्ति नंद्राजोग ने रविवार को दुर्गापुरा स्थित राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित दो दिवसीय राजस्थान पैरा लीगल वालंटियर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
नंद्राजोग ने कहा कि पैरा लीगल वालंटियर समाज के वंचित एवं शोषित वर्ग के लिए प्रकाश की किरण की तरह हैं, जो उनके जीवन के अंधकार को दूर कर उनमें आशा का संचार करते हैं। इनका कार्य एक सैनिक की तरह ही है। ये लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करते हैं और उन्हें न्याय प्रक्रिया की जानकारी देते हैं, ताकि वे सही दिशा में प्रयास कर अपना हक आसानी से प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि पैरा लीगल वॉलेंटियर्स को कानून की बुनियादी जानकारी एवं सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी होने के साथ समाज में व्याप्त कुरितियों की भी जानकारी होनी चाहिए।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के.एस. झवेरी ने कहा कि वंचित एवं पीड़ित वर्ग के जागरूक होने पर ही सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें अधिक से अधिक प्राप्त हो सकेगा। साथ ही उन्हें सरल एवं सस्ता न्याय भी समय पर सुलभ हो सकेगा। उन्होंने बताया कि पैरा लीगल वालंटियर विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा स्थापित विधिक सेवा केंद्रों पर तैनात होते हैं। ये कानूनी सेवा संस्थानों या उचित सरकारी या गैर सरकारी एजेंसियों के साथ जरूरतमंद व्यक्तियों के बीच संपर्क या मध्यस्थता कर सकते हैं।
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राज्य विधिक सेवा समिति की जयपुर इकाई के अध्यक्ष मोहम्मद रफीक ने बताया कि विधिक सेवाओं की पहुंच हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए इस समय राज्य में लगभग तीन हजार पैरा लीगल एडवाइजर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग को जागरूक करने एवं छोटे मोटे आपसी विवादों को आसानी से निपटाने में पैरा लीगल वालंटियर अपना कार्य निष्ठा से कर रहे हैं।
जुवेनाइल न्याय समिति के सदस्य एम.एन. भंडारी ने कहा कि बच्चों के अधिकारों का संरक्षण कर हम देश के भविष्य के समृद्ध कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में शिशु गृहों की स्थिति अन्य राज्यों की अपेक्षाकृत बहुत अच्छी है, फिर भी पैरा लीगल वालंटियर को समय-समय पर अपने अपने क्षेत्रों के बाल गृहों की रिपोर्ट बनाकर भेजनी चाहिए, ताकि वहां और ज्यादा सुधार किया जा सके।
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