जानें, भारतीय कंपनियों को चीनी अधिग्रहण से बचाने को सरकार ने उठाया कौन सा कदम
चीन की बड़ी कंपनियां भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण के लिए कर रहीं धन का इस्तेमाल
नयी दिल्ली : उद्योगों के कई वर्गों ने केंद्र को चेतावनी दी है कि चीन की बड़ी कंपनियां अपनी निधियों का इस्तेमाल कोरोना Pandemic से कमजोर हो रही भारतीय कंपनियों की खरीदारी या अधिग्रहण के लिए कर रही हैं।
चीनी अधिग्रहण रोकने को तेजी से उठाये कदम
इसके बाद भारत सरकार ने महामारी Pandemic की मार झेल रही कमजोर भारतीय कंपनियों के चीनी अधिग्रहण को रोकने के लिए तेजी से कदम उठाया है। शुक्रवार को, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत के साथ “भूमि सीमा” साझा करने वाले किसी भी देश से आने वाले निवेश के प्रस्तावों के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी अनिवार्य होगी।
अधिसूचना के तुरंत बाद उद्योगों के कई वर्गों ने केंद्र को चेतावनी दी कि कोविड -19 महामारी Pandemic की वजह से कमजोर हुई भारतीय कंपनियों की खरीददारी में चीनी संस्थाएं भारी धन खर्च करने को तैयार हैं।
पाकिस्तान और बांग्लादेश से निवेश से पहले सरकार की मंजूरी
केंद्र के संशोधित फैसलेे से लगता है कि सात देशों में से भारत के साथ बार्डर साझा करने वाले देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश से निवेश को स्वीकार करने से पहले सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है। चीन को छोड़कर, शेष देशों अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान और म्यांमार के निवेश को आमतौर पर वित्तीय खतरों के रूप में नहीं जाना जाता है।
पहले की नीति में रक्षा और दूरसंचार सहित 16 क्षेत्रों को छोड़कर 1,000 से अधिक श्रेणियों में एफडीआई की अनुमति थी।
केवल सरकारी मार्ग से ही निवेश आ सकता है
नई संशोधित नीति अब कहती है कि “एक देश जो भारत के साथ एक बार्डर साझा करता है, या जहां भारत में निवेश का उसे लाभ होने वाला है ऐसे देश से एफडीआई के जरिये केवल सरकारी मार्ग से ही निवेश लाया जा सकता है।
यह सिलसिला उद्योगों और हालिया घटनाक्रमों और चेतावनियों के बाद आया है। उदाहरण के लिए, एक खुलासे से पता चला था कि चीन के केंद्रीय बैंक ने भारत की सबसे बड़ी ब्लू-चिप वित्तीय कंपनियों में से एक एचडीएफसी में 1.01 प्रतिशत हिस्सेदारी Pandemic के दौरान खरीदी है।
स्वामित्व के हस्तांतरण पर भी लागू
यह शर्त एफडीआई के स्वामित्व के हस्तांतरण पर भी लागू होगी।
ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे अन्य देशों ने हाल ही में FDI नियमों को कड़ा किया है ताकि चीनी कंपनियों के अधिग्रहण हमलों से वहां की कंपनियों को बचाया जा सके। अब कोविड -19 महामारी Pandemic के बाद पनपी आर्थिक कमजोरी का फायदा उठाकर चीनी धनी कंपनियां भारतीय कंपनियों की खरीद फरोख्त आसानी से नहीं कर सकेंगी।
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