नवाज शरीफ के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री पर गाज

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ को इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया है। ख्वाजा आसिफ के पास संयुक्त अरब अमीरात का वर्क परमिट होने के कारण उन्हें अयोग्य ठहराया गया है। बता दें कि बीते साल ख्वाजा आसिफ के खिलाफ एक याचिका अदालत में दाखिल की गई थी।

आम चुनावों के दौरान अपने नामांकन पत्र में गलत जानकारी दी थी

इस याचिका पर सुनवाई के बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला सुनाया गया है। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 3 जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया।याचिका में कहा गया था कि ख्वाजा आसिफ ने 2013 के आम चुनावों के दौरान अपने नामांकन पत्र में गलत जानकारी दी थी।

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याचिका के अनुसार, केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद ख्वाजा आसिफ ने संयुक्त अरब अमीरात की आईएमईसीएल कंपनी के पूर्णकालिक कर्मचारी भी रहे और वहां से तन्खवाह पाते रहे। जिससे उन्होंने संविधान की शपथ की अवहेलना की है। पाकिस्तान के अखबार डॉन ने यह जानकारी दी है। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता उस्मान डार पूर्व क्रिकेटर और राजनेता इमरान खान के नेतृत्व वाली तहरीक-ए-इंसाफ का सदस्य है और साल 2013 में आम चुनावों में ख्वाजा आसिफ के सामने हार चुका है।

पीएम पद के लिए अयोग्य ठहराए जाने से सकते में है

ख्वाजा आसिफ को इस्लामाबाद हाईकोर्ट द्वारा अयोग्य ठहरा दिए जाने से पाकिस्तान की सत्तारुढ़ पार्टी पीएमएल (एन) को दोहरा झटका लगा है। दरअसल पार्टी पहले ही अपने पूर्व अध्यक्ष नवाज शरीफ के कोर्ट द्वारा पीएम पद के लिए अयोग्य ठहराए जाने से सकते में है। बता दें कि पनामा पेपर लीक मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को पीएम पद के लिए अयोग्य ठहरा दिया था।

नाते मिलने वाली अपनी सैलरी डिक्लेयर नहीं की थी

जिसके बाद नवाज को पीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नवाज के पीएमएल (एन) चीफ रहने के लिए भी अयोग्य ठहरा दिया है। नवाज शरीफ पर आरोप था कि उन्होंने बोर्ड ऑफ कैपिटल एफजीई के चेयरमैन होने के नाते मिलने वाली अपनी सैलरी डिक्लेयर नहीं की थी। फिलहाल नवाज शरीफ के बाद अब ख्वाजा आसिफ को भी कोर्ट द्वारा संसद सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने पर उनकी पार्टी पीएमएल (एन) को बड़ा झटका लगा है और आगामी आम चुनावों में पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

जनसत्ता

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