पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का बयान, अमेरिका हमें बना रहा ‘बलि का बकरा’

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पाकिस्तान ने अमेरिका से सैन्य और खुफिया संबंध तोड़ने की घोषणा की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये निर्णय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन आरोपों के बाद लिया है जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान ने अमेरिका को ‘झूठ और धोखे’ के सिवा कुछ नहीं दिया। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जानी वाली सुरक्षा संबंधी आर्थिक मदद पर रोक लगा दी।

‘अपनी हार के लिए पाकिस्तान को बलि का बकरा बना रहा अमेरिका’

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान ने मंगलवार (9 जनवरी, 2017) को राजधानी इस्लामाबाद में कहा, ‘अरबों डॉलर खर्च करने के बाद भी अमेरिका को अफगानिस्तान में हार का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान में अपनी विफलताओं के लिए अमेरिका पाकिस्तान को बलि के बकरे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। इसलिए हम अमेरिका से सैन्य और खुफिया संबंध तोड़ते हैं।’

‘पाकिस्तान कुर्बानी की कीमत नहीं मांग रहा’

उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान अपनी कुर्बानी की कीमत नहीं मांग रहा है लेकिन उसको समझा जाए। इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘पाकिस्तान की जमीन से अमेरिका को अफगानिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अमेरिका अफगान-पाक बोर्डर की सुरक्षा के लिए मदद देने के बजाय पाकिस्तान पर आरोप लगाने में व्यस्त है।’

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मामले में जब पाकिस्तान में स्थित अमेरिकी दूतावास से संपर्क कर पूछा गया था तो उन्होंने बताया कि ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है जिसमें सैन्य सहयोग रद्द करने का कहा गया हो। दूतावास के प्रवक्ता रिचर्ड स्नेलसर ने बताया, ‘हमें आधिकारिक तौर पर आर्थिक सैन्य सहयोग रद्द किए जाने के मामले में कोई सूचना नहीं मिली है।’ दूसरी तरफ विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अमेरिका के साथ ईरान, चीन और रूस के साथ भी पाकिस्तान के संबंध जरूरी हैं।

अमेरिका की पाकिस्तान को फिर से चुनौती

दूसरी तरफ अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान से तालिबान और हक्कानी नेटवर्क सहित सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ लड़ने के लिए निर्णायक कदम उठाने को कहा है, जो (आतंकवादी समूह) उसकी जमीन से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा हैं। साथ ही उसने पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की बात कही। पेंटागन के प्रेस सचिव आर्मी कर्नल रॉब ने पत्रकारों ने कहा, ‘हमारी उम्मीद स्पष्ट हैं, तालिबान और हक्कानी नेतृत्व और हमलों के अन्य साजिशकर्ताओं को पाकिस्तान में सुरक्षित पनाहगाह या वहां से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कैसी भी मदद नहीं मिलनी चाहिए।’

(साभार- जनसत्ता)

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