सब्जी बेचकर गरीबों के लिए बनाया अस्पताल, मिलेगा पद्मश्री सम्मान

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विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाओं और उल्लेखनीय योगदान के लिए दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। इसमें सामाजिक क्षेत्र में अच्छे कार्यों के लिए सुभाषिनी मिस्त्री का नाम पद्म श्री के लिए तय किया गया है। पश्चिम बंगाल की रहने वाली सुभाषिनी मिस्त्री को पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा।

गरीबों के लिए अस्पताल बनवाना चाहती थीं

सभाषिनी मिस्त्री एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने खुद गरीबी में अपना जीवन काटकर लोगों की सेवा की हैकोलकाता की रहने वाली 75 साल की सुभाषिनी मिस्त्री गरीबों के लिए अस्पताल बनवाना चाहती थीं और उन्होंने यह कर भी दिखाया। दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने ये कारनामा सब्जी बेचकर और जूते पॉलिश कर दिखाया साल 1943 में बंगाल में अकाल के दौरान ही सुभाषिनी का जन्म हुआ था। कम उम्र में ही 14 भाई-बहनों में से 7 की मौत हो गई थी और जल्द ही उनकी शादी कर दी गई थी।

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1971 में सुभाषिनी के पति की इलाज के अभाव में मौत हो गई और जिसके बाद में गरीब सुभाषिनी के ऊपर चारों बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। इससे बाद उन्होंने अस्पताल बनवाने की सोची। करीब बीस सालों तक एक -एक पाई जोड़कर 1992 में सुभाषिनी ने हंसपुकुर गांव में लौटकर 10,000 रुपये में एक एकड़ जमीन खरीदी। उसके बाद एक अस्थाई शेड से इसकी शुरुआत हुई और लाउडस्पीकर की मदद से शहर में डॉक्टर्स से फ्री सेवा की विनती की गई।

जिस दिन यह अस्पताल सर्व-सुविधा संपन्न हो जाएगा

पहले दिन यहां 252 का इलाज हुआ और अब यह अस्पताल लगातार आगे बढ़ रहा है। अब यह 9000 स्कवायर फीट में बना हुआ है। सुभाषिनी अभी 24 घंटे सुविधाएं देना चाहती है। यहां गरीबों का फ्री में इलाज होता है। गरीबी रेखा के ऊपर के लोगों से 10 रुपए की फीस ली जाती है। लेकिन आज सुभाषिनी मिस्त्री कहती है जिस दिन यह अस्पताल सर्व-सुविधा संपन्न हो जाएगा, उस दिन उन्हें चैन मिलेगा।

aajtak

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