हमारे निर्देश सभी के लिए… बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
नई दिल्ली: देश के कई राज्यों में जारी बुलडोज़र एक्शन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ी टिप्पणी की है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच कर रही है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा था कि सिर्फ सार्वजनिक स्थानों पर किए गए अतिक्रमण को हटाने की ही छूट होगी. इस मामले में यूपी, एमपी और राजस्थान की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पेश हुए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में पूछा कि क्या दोषी करार देने पर भी किसी की संपत्ति तोड़ी जा सकती है ? एसजी तुषार ने जवाब में कहा कि नहीं. यहां तक की हत्या, रेप और आतंक के केस के आधार पर भी नहीं.
हम एक धर्मनिरपेक्ष देशः सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा ‘ हम एक धर्मनिरपेक्ष देश है’. हमारे निर्देश पूरे भारत में लागू होंगे. इस पर सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कि हम इसके पक्ष में नहीं है क्योंकि, हमारे देश में 80 फीसद हिन्दू है. हमारे उद्देश्य के लिए यह प्रासंगिक नहीं है. वहीं, जस्टिस गवई ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा आदेश अतिक्रमणकारियों की मदद न करें. इस सुनवाई में हिंदू मुस्लिम एंगल अच्छा नहीं है. बेंच को इन आरोपों पर विश्वास नहीं करना चाहिए.
कानून किसी धर्म के लिए खास नहीं
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि इस मामले में जो भी नियम बनाए जाएं, उन्हें पूरे भारत में लागू किया जाना चाहिए. जब याचिकाकर्ता कहते हैं कि उन्हें चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है, तो इसमें कुछ संवेदनशीलताएं शामिल हैं. अदालत को आरोपों से बाहर आना चाहिए और तय करना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत. जस्टिस गवई ने कहा कि हम सभी के लिए कानून बनाएंगे, किसी खास धर्म के लिए नहीं.
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ये मामला दो फीसदी का नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये साफ करेंगे कि सिर्फ किसी आपराधिक मामले में आरोपी या दोषी करार देना संपत्ति को तोड़ने का आधार नहीं होगा. इसके लिए निर्माण में किसी म्यूनिसिपल नियमों का उल्लंघन होना चाहिए. इस पर तुषार मेहताने कहा कि ऐसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बुलडोजर मामले बहुत कम होंगे. ये मामले दो फीसदी होंगे, लेकिन बिल्डरों से जुड़े इस तरह के मामले बहुत हैं. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि जब तक नगर निगम के अधिकारी इन पर फैसला नहीं ले लेते, तब तक कोई अर्ध न्यायिक निगरानी भी नहीं है. ये मामला दो फीसदी का नहीं है. आंकड़े बताते हैं कि लगभग साढे चार लाख मामले तोड़फोड़ के हैं.
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सबके लिए जारी करेंगे गाइडलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं. हम सब नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी करेंगे. अवैध निर्माण हिंदू, मुस्लिम कोई भी कर सकता है. हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों. बेशक, अतिक्रमण के लिए हमने कहा है कि अगर यह सार्वजनिक सड़क या फुटपाथ या जल निकाय या रेलवे लाइन क्षेत्र पर है, तो हमने इसे स्पष्ट कर दिया है. अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, चाहे वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मंदिर, यह सार्वजनिक बाधा नहीं बन सकती. जस्टिस गवई ने कहा कि चाहे मंदिर हो, दरगाह हो, उसे जाना ही होगा क्योंकि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है.