अमरनाथ हमला : विपक्ष ने की मोदी व महबूबा सरकार की आलोचना

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जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी हमले में सात तीर्थयात्रियों के मारे जाने के एक दिन बाद मंगलवार को विपक्ष ने तीर्थयात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकामी के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार तथा महबूबा मुफ्ती(Mahbuba Mufti) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की आलोचना की। कांग्रेस ने आतंकवादी हमले को अमानवीय और बर्बर करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार तीर्थयात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने में असफल रही है। कांग्रेस ने इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ की मांग की है।

जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग जिले में सोमवार देर शाम खानाबल में 60 यात्रियों से भरी बस पर आतंकवादियों की गोलीबारी में सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 19 अन्य घायल हो गए।

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, “कांग्रेस पवित्र यात्रा के लिए सभी तीर्थयात्रियों की सुरक्षा की मांग करती है। इस संबंध (आतंकवादी हमला) में सरकार क्या कदम उठा रही है, इस बारे में प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को बताना चाहिए।”

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उन्होंने आरोप लगाया कि आतंकवादी हमला सरकार तथा सुरक्षा बलों की तरफ से सुरक्षा में बरती गई गंभीर लापरवाही है।

सुरजेवाला ने कहा, “यह समय है कि सरकार जागे और शब्दों व बैठकों को छोड़कर काम करे तथा आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे।” उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने कश्मीर की मिली-जुली संस्कृति पर हमला किया है।

उन्होंने कहा, “अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर आतंकवादी हमले से राष्ट्र चकित और अत्यधिक दुखी है। मौजूदा सरकार क्या कर रही है, यह एक मूक सवाल है?”

सुरजेवाला ने सवाल करते हुए कहा, “क्या प्रधानमंत्री बयान देंगे और देश को आश्वासन देंगे कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के क्या निर्णायक कदम उठाएगी और यह हर कीमत पर सुरक्षित होगी।”

उन्होंने कहा, “अगर 25 जून को ही खुफिया जानकारी मिल गई थी कि अमरनाथ यात्रा पर हमला किया जाएगा, तो इसे रोकने के उपाय क्यों नहीं अपनाए गए? इसे असफल करने के लिए क्या उपाय किए गए थे? क्या हम एक बार फिर बैठकों और पूछताछ में ही इस तरह के एक महत्वपूर्ण मुद्दे को गवां देंगे या फिर निर्णायक कार्रवाई करते हुए दोषियों को सजा दिलाएंगे जिन्होंने देश की सबसे पवित्र धार्मिक यात्रा पर आतंकवादी हमला करने की हिम्मत की है।”

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मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि हमले से संबंधित खुफिया जानकारी के बावजूद एहतियातन कदम क्यों नहीं उठाए गए।

येचुरी ने संसद भवन के बाहर कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हमले से संबंधित खुफिया जानकारी के बावजूद एहतियातन कदम क्यों नहीं उठाए गए? सरकार को यह जवाब देना है कि खुफिया रिपोर्ट के बावजूद यह घटना क्यों घटी।” उन्होंने कहा कि पिछले बार इस तरह का हमला साल 2000 में हुआ था, जब केंद्र में भाजपा नीत सरकार थी।

माकपा नेता ने कहा, “और एक बार फिर जब आपके पास केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार है, यह क्यों हो रहा है? सरकार को इसका जवाब देने की जरूरत है।”

जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार को हालात का दोबारा आकलन करना चाहिए और फैसला करना चाहिए कि क्या राज्य में राज्यपाल शासन की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “अगर मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती को बरकरार रखना असमर्थनीय है, तो कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। लेकिन, यह केंद्र को फैसला करना है।”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह ने भी राज्य में राज्य में राज्यपाल शासन की मांग की।

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