कुंभ का नाम बदलने पर बिफरा विपक्ष, योगी सरकार को बताया ‘हिंदू विरोधी’

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विधानसभा में शुक्रवार को ‘अर्द्धकुंभ’ और ‘कुंभ’ का नाम बदलने को लेकर हंगामा खड़ा हो गया। विपक्ष ने सरकार पर सनातन परंपरा से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि सरकार हिंदू विरोधी है और संतों, परंपराओं का अपमान कर रही है। हालांकि, सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया। कहा, सरकार किसी परंपरा में कोई बदलाव नहीं कर रही है। सपा-कांग्रेस ने इस मसले पर सदन से वॉक आउट किया।

…लेकिन उसे मानव नहीं दानव कहा गया

सरकार ने विधानसभा में उत्तर प्रदेश प्रयागराज मेला प्राधिकरण विधेयक विचार के लिए रखा था। हालांकि, अध्यादेश के जरिए इसे पहले ही अमल में लाया जा चुका है। विधेयक में ‘अर्द्धकुंभ’ का नाम बदलकर ‘कुंभ’ और ‘कुंभ’ का नाम बदलकर महाकुंभ कर दिया गया है।

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नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने इस पर वेदों, पुराणों और शास्त्रसम्मत परंपराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस नाम और परंपरा को सृष्टि बदलने की क्षमता रखने वाले मनीषियों तक ने नहीं बदला, सरकार उसे बदलने की कुचेष्टा कर रही है। उन्होंने कहा कि कुंभ का आयोजन खगोलीय संयोगों पर निर्भर करता है। रामराज का दावा करने वाली ‘महामंडलेश्वर’ की सरकार ने लगता है खगोलीय घटनाओं पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है। इससे पहले यह प्रयास रावण ने किया था, लेकिन उसे मानव नहीं दानव कहा गया।

तो क्या राम जन्मभूमि का नाम बदल देंगे?

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पहले इन्होंने चुनावी फायदे के लिए ‘बीजमंत्र’ राम-राम को ‘जयश्रीराम’ में बदल दिया। अब क्या राम जन्मभूमि, कृष्ण जन्मभूमि और कैलाश मानसरोवर का नाम भी बदलेंगे? इस पर विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने चुटकी ली। कहा, कुछ लोग राम जन्मभूमि को ‘विवादित ढांचा’ भी कहते हैं, हालांकि रामगोविंद का सरकार पर हमला नहीं रुका। उन्होंने तल्ख शब्दों में कहा कि ये नकली हिंदू हैं। सरकार सनातन धर्म, वेद-पुराण की मान्यताओं का नाश करने पर तुली है। अगर सरकार को इतनी दिक्कत है तो वेद को जला दे। विपक्ष हिंदू बनाम हिंदू की यह लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने प्राधिकरण में केंद्र के प्रतिनिधियों और संतों को जगह न दिए जाने पर भी सवाल उठाया। कहा, इसके खिलाफ अखाड़ा परिषद 29 दिसंबर को प्रदर्शन करने जा रही है। बसपा के लालजी वर्मा और कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने भी कहा कि सरकार को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई हक नहीं है।

‘सनातन परंपरा में ‘आंशिक’ को मान्यता नहीं’

नेता प्रतिपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि नेता विरोधी दल स्वयं स्वीकार कर चुके हैं कि यह कलयुग है। यही उनके सवाल का जवाब है। वह तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने और गलत व्याख्या में माहिर हैं। नाम इसलिए बदला गया, क्योंकि सनातन परंपरा में ‘अर्द्ध’ या ‘आंशिक’ शब्द नहीं आता। शब्दों से नहीं समारोह के आयोजन से फर्क पड़ता है। सरकार सनातन परंपरा, स्नान या किसी अन्य परंपरा में कोई बदलाव नहीं करने जा रही है। अधिनियम में तीन नामित सदस्यों को रखे जाने की व्यवस्था हैं। नियमावली के जरिए भी सभी प्रावधान स्पष्ट कर दिए जाएंगे। सपा-कांग्रेस इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और वेल में पहुंच गए। काफी देर तक सरकार विरोधी नारेबाजी करने के बाद सदन से वॉक आउट कर गए।

(साभार-एनबीटी)

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