भूख से रोती बिलखती मर गई ‘मां’
पिछले साल कथित रूप से भूख से हुई मौतों के कारण आलोचना झेल चुकी झारखंड सरकार एक बार फिर घेरे में है। इस बार गिरीडीह जिले के सेवांतर गांव में एक महिला की भूख से मौत का मामला सामने आया है। खबर के मुताबिक शनिवार को गांव में 45 वर्षीय बुधनी सोरेन की भुखमरी से मौत हो गई। हालांकि जिला प्रशासन मौत की वजह जिले में शीत लहर को बता रहा है।
घर में पिछले तीन दिन से खाने के लिए कुछ नहीं था
सोरेन अपने पीछे 7 साल के बेटे और सौतेली बेटी सुनीता सोरेन को छोड़ गई हैं। उनके दूसरे पति की मौत पिछले साल ही हो गई थी। बुधनी अपना खर्चा चलाने के लिए पत्तल का दोना और प्लेटें बेचती थीं लेकिन पिछले कुछ दिनों से बीमार होने की वजह से वह काम पर नहीं जा सकी थी। बुधनी के बेटी सुनीता ने बताया कि घर में पिछले तीन दिन से खाने के लिए कुछ नहीं था।
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वह बीमार थीं इस वजह से खाने के लिए कुछ बाहर से लाने में असमर्थ थी। सुनीता ने बताया कि उनके पास कोई राशन कार्ड या आधार कार्ड भी नहीं था। न ही गांव के सरपंच और प्रशासन का कोई प्रतिनिधि इसके लिए उनके पास आया। इस बारे में थानसिंहडीह पंचायत के मुखिया बलेश्वर राय ने बताया कि उन्हें बुधनी के बारे में जैसे ही जानकार मिली वह गांव पहुंचे लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि वह कभी – कभार अपने बेटे के साथ स्कूल जाती थी और उसके मिड-डे मील से थोड़ा सा भोजन करती थीं।
लेकिन प्रशासन ने मानने से इनकार कर दिया था
गौरतलब है कि पिछले साल झारखंड में भूख से मौतों ने पूरे देश में राजनीतिक बहस की शुरुआत की थी। पहला मामला झारखंड के सिमडेगा जिले में 11 साल की एक मासूम संतोषी कुमारी की मौत का सामने आया। उसके बाद धनबाद में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें घर में राशन नहीं होने से रिक्शाचालक की मौत हो गई थी। तीसरा मामला झारखंड के कोरता गांव से था जहां 13 साल के मासूम की मां की मौत भूख से हो गई थी लेकिन प्रशासन ने मानने से इनकार कर दिया था।
NBT
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