BHU में एरोड्रम बन्द होने की खबर पर VC के खिलाफ छात्रों ने खोला मोर्चा

बुलंद हुई आवाज-‘महामना के आदर्शों पर दाग नही लगने देंगे‘ प्रिंटिंग प्रेस और डेयरी फ़ार्म के बंद कराने की खबर के खिलाफ निकाला मार्च

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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में डेयरी फार्म, प्रिंटिंग प्रेस और एरोड्रम को बंद कराये जाने की सूचना के बाद से ही छात्रों के बीच काफी गुस्सा है. बता दें कि कुलपति के परामर्शदात्री समिति की अनुशंसा पर डेयरी, प्रिंटिंग प्रेस और एरोड्रम बंद करने के सुझाव के खिलाफ आज यानि शनिवार को शाम 5 बजे के करीब मालवीय भवन से लेकर सिंह द्वार तक मार्च निकाला गया. प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच कुलपति के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला. इस दौरान छात्रों ने हाथ में तख्तियां लेकर जमकर नारेबाजी की. ‘महामना तेरे आदर्शों पर दाग नहीं लगने देंगे, ‘महामना अमर रहे‘ जैसे नारे लगाये.

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छात्रों ने एक दिन पहले सौंपा था पत्रक

शुक्रवार को छात्रों ने सेंट्रल आफिस पहुंचकर रजिस्ट्रार को पत्रक सौंपा था. इस दौरान मांग किया कि किसी भी सूरत में ये संस्थाएं बंद नहीं होनी चाहिए. रजिस्ट्रार की तरफ से छात्रों से कहा गया कि इस तरह सूचनाएं भ्रामक हैं. हालांकि इसको लेकर कोई वादा न किये जाने पर छात्रों ने मार्च निकाला.

महामना के विचारों के खिलाफ है फैसला

इस मामले को लेकर बीएचयू के छात्रों, अध्यापकों, कर्मचारियों और यहां तक आम लोगों में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिल रही है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के के बिरला छात्रावास में बीएचयू के छात्रों से बातचीत के दौरान छात्रों ने नाराजगी जाहिर की. जनसंचार विषय से बीएचयू में रिसर्च कर रहे छात्र अंकित पांडेय ने कहाकि यह फैसला महामना के विचारों के खिलाफ है. अगर विश्वविद्यालय के किसी भी संस्था को बंद करने का काम किया जाता है तो छात्रों द्वारा विराट प्रदर्शन किया जाएगा. वहीं छात्रनेता आशुतोष सिंह ने कहा कि उन्होंने जब बीएचयू पीआरओ की प्रेस विज्ञिप्त देखी तो हतप्रभ रह गये. उन्होंने कहा कि यह फैसला बीएचयू के की गरिमा और महामना के आदर्शों के खिलाफ है. कहा कि यह एक शिक्षण संस्थान है न कि कोई आर्थिक लाभ कमाने वाला संस्थान. बताया कि बीएचयू के प्राच्य विद्या धर्म विज्ञान संकाय द्वारा पंचाग निकाला जाता था जो बीएचयू के प्रिंटिग प्रेस में छपता था. बीएचयू के कुलपति द्वारा अब इसे बाहर के प्रिटंग प्रेस में छपवाने का फैसला लिया गया. वहीं छात्रनेता मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि बीएचयू की डेयरी से बीएचयू के छात्रों और अध्यापकों को पौष्टिक और शुद्ध दूध प्राप्त होता आया है. यह मालवीय जी की भी इच्छा थी कि छात्रों को शुद्ध आहार मिले जिससे उनका स्वास्थ ठीक रहे. इसको बंद करना मालवीय जी के इच्छा के खिलाफ फैसला माना जाएगा. बीएचयू के शिक्षकों ने कहा कि कमेटी ने विश्वविद्यालय की छवि बिगाड़ने का काम किया है. बीएचयू परिसर में डेयरी व्यवसाय के लिये नहीं खोला गया था. प्रिंटिग प्रेस भी कुछ विश्वविद्यालयों में ही उपलब्ध है. निजीकरण बढ़ने से बीएचयू को नुकसान होगा. शिक्षकों ने आरोप लगाया कि कमेटी को बीएचयू की छवि बिगाड़ने के इरादे से गठित किया गया है.

सुधार समिति की रिपार्ट है विवाद का कारण

बीएचयू की प्रशासनिक सुधार समिति ने कहा है कि विरासती इकाइयों को बंद कर देना चाहिए. एयरोड्रम, प्रिंटिंग प्रेस और डेरी फ़ार्म जैसी इकाइंया, अतीत में भले महत्वपूर्ण रही हो लेकिन अब यह संस्थाए अब बिना किसी सार्थक सेवा के चल रही है. रिपार्ट में दावा किया गया कि यह इकाइंयां अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं. विश्वविद्यालय के शिक्षण, अनुसंधान और सामुदायिक जुड़ाव में इनका कोई योगदान नहीं है. इनको बंद करने से संसाधन खाली हो जाएंगे. वहीं इनके कर्मचारियों को बेहतर कार्यों में उपयोग किया जा सकेगा. इस रिपार्ट के बाद ही विवाद गहराया हुआ है.

रजिस्ट्रार ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने तरीके से करेगा मंथन

प्रोफेसर अरुण कुमार सिंह ने बयान जारी किया कि प्रशासनिक सुधार समिति को जो ठीक लगा उसे उन्होंने लिख दिया लेकिन सिफारिश का अनुपालन करने के लिए विश्वविद्यालय अपने तरीके से मंथन करेगी. रिपोर्ट अपनी जगह पर है उसमें कई चीज रहती हैं. विश्वविद्यालय का प्रकरण में कोई स्टैंड नहीं है. विश्वविद्यालय को समझने के लिए कमेटी बनाई गई थी.

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