गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा मां से मांगे मुराद, लाल रंग के पहने वस्त्र

0

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 19 जून से प्रारंभ हो गई है। आज दूसरी गुप्त नवरात्रि है। आसाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का समापन 20 जून को होगा। इन गुप्त दिनों में देवी मां की गई पूजा से विशेष मनोकामना सिद्ध हो जाती है। अगर आप पहली, दूसरी व तीसरे दिन की गुप्त नवरात्रि की पूजा करने से चूंक गए हैं तो चौथे दिन भी पूजा कर सकते हैं। गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा-उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘गति चक्र’ में अवस्थित रहता है।

अष्टभुजी हैं मां कूष्मांडा 

सनातन शास्त्रों में निहित है कि मां कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की है। मां सूर्यमंडल में अवस्थित लोक में निवास करती हैं। अत: मां के मुखमंडल से तेज प्रकट होती है। इससे समस्त ब्रह्मांड प्रकाशवान रहता है। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से साधक को शारीरिक और मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है। मां अष्टभुजा धारी हैं। अपने हाथों में धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, कमंडल,चक्र तथा गदा धारण की हैं। मां एक हस्त में माला धारण की हैं। इससे सर्वस्त्र लोक का कल्याण होता है। अतः ममतामयी मां कूष्मांडा की पूजा श्रद्धा भाव से करनी चाहिए। अगर आप भी मां कूष्मांडा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन इस विधि से मां की पूजा-अर्चना करें।

लाल रंग के वस्त्र पहनकर करें पूजा

गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन ब्रह्म बेला में उठकर जगत जननी मां दुर्गा की चतुर्थ शक्ति को प्रणाम करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई करें और नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। इस समय व्रत संकल्प लें। मां को लाल रंग अति प्रिय है। अतः लाल रंग के वस्त्र पहनें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद निम्न मंत्र की स्तुति कर मां का आह्वान करें-

कूष्मांडा मां की स्तुति 

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’

माता को चढ़ाएं सिंदूर

इसके बाद मां कूष्मांडा की पूजा फल, फूल, दूर्वा, सिंदूर, दीप, अक्षत, कुमकुम आदि चीजों से करें। मां को मालपुआ प्रिय है। अतः मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग अवश्य लगाएं। इस समय दुर्गा चालीसा, मां कूष्मांडा कवच और स्त्रोत का पाठ करें। अंत में मां कूष्मांडा की आरती कर सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें।

मां ​कूष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

कन्याएं मां पार्वती की करें पूजा

यदि आप चाहें तो गुप्त नवरात्रि के दिन उपवास भी रख सकते हैं। शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें। इस दिन विवाहित महिलाओं को घर पर भोजन अवश्य कराएं। इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप  इन दिनों माता पार्वती की पूजा करते हैं तो इसका दोगुना लाभ मिलता है। क्योंकि माता पार्वती ही इन सभी देवियों के स्वरूप का केंद्र हैं। कुंआरी कन्याओं द्वारा माता पार्वती की पूजा करने से उन्हें अभीष्ट फल की  प्राप्ति होती है।

Also Read : आदिपुरुष के बदले डायलॉग्स, फिर भी नहीं थमा विरोध, डायलॉग्स की भाषा अब भी टपोरी

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More