काशी में पीएम मोदी के आगमन पर, क्या होगा प्रोटोकॉल
प्रधानमंत्री मोदी काशी में 24 मार्च को पांच घंटे के प्रवास पर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर आएंगे। इस दौरान पीएम मोदी करीब 1600 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं की सौगात काशीवासियों को देंगे। इसमें से प्रमुख वाराणसी में देश की पहली पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे परियोजना की आधारशिला भी रखेंगे। ऐसे में जानते है कि किसी भी शहर में पीएम की आगमन पर क्या होते है प्रोटोकॉल और वाराणसी में इसको लेकर क्या है सुविधाएं !
प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर वाराणसी में तैयारी…
प्रधानमंत्री का सुरक्षा घेरा पांच स्तरीय रहता है। एसपीजी के अलावा उनकी सुरक्षा में एनएसजी के कमांडो, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अफसर, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, एटीएस के कमांडो, स्थानीय पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के कर्मी तैनात रहते हैं।
काशी आगमन के दौरान प्रधानमंत्री के बाह्य सुरक्षा घेरे में 15 आईपीएस और 10 हजार से ज्यादा पुलिस-पीएसी व केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवान तैनात रहेंगे। प्रधानमंत्री की आवाजाही के रूट पर रूफ टॉप फोर्स तैनात की जाएगी। कार्यक्रम स्थल सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में रहेंगे। आयोजन संपन्न होने तक कार्यक्रम स्थल नो फ्लाइंग जोन रहेंगे।
क्या है उनकी सुरक्षा का प्रोटोकॉल…
पीएम को सुरक्षा, SPG की जिम्मेदारी…
बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा किसी भी देश के अन्य प्रमुखों की तरह कड़ी होती है. भारत के प्रधानमंत्री को 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की होती है. प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, एसपीजी के सटीक निशानेबाजों को हर कदम पर तैनात किया जाता है. ये शूटर एक सेकेंड के अंदर आतंकियों को मार गिराने में सक्षम होते हैं. इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है. SPG के जवानों के पास MNF-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे आधुनिक हथियार होते हैं.
NSG के कमांडो से घिरे होते हैं प्रधानमंत्री…
प्रधानमंत्री के काफिले में 2 बख्तरबंद BMW 7 सीरीज सेडान, 6 BMW X-5 और एक मर्सिडीज बेंज एंबुलेंस के साथ एक दर्जन से अधिक वाहन मौजूद होते हैं. इनके अलावा, एक टाटा सफारी जैमर भी काफिले के साथ चलता है. प्रधानमंत्री के काफिले के ठीक आगे और पीछे पुलिस के सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियां होती हैं. बाईं और दाईं ओर 2 और वाहन होते हैं और बीच में प्रधानमंत्री का बुलेटप्रूफ वाहन होता है.
हमलावरों को गुमराह करने के लिए काफिले में प्रधानमंत्री के वाहन के समान दो डमी कारें शामिल होती हैं. जैमर वाहन के ऊपर कई एंटेना होते हैं. ये एंटेना सड़क के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज करने में सक्षम हैं. इन सभी कारों पर NSG के सटीक निशानेबाजों का कब्जा होता है. इसका तात्पर्य यह है कि सुरक्षा के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के साथ लगभग 100 लोगों का एक दल होता है.
पैदल भी साथ होती है यह सुरक्षा…
यह तो हुई गाड़ियों के काफिले की बात लेकिन इसके अलावा जब प्रधानमंत्री पैदल भी चलते हैं, तब भी वे वर्दी के साथ-साथ सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो से घिरे होते हैं.
पुलिस की भी होती है भूमिका…
SPG के अलावा पुलिस भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती है. प्रधानमंत्री के स्थानीय कार्यक्रमों में एसपीजी के मुखिया खुद मौजूद रहते हैं. यदि किसी कारण से मुखिया अनुपस्थित रहता है, तो सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंधन उच्च पद के किसी अधिकारी द्वारा किया जाता है. जब प्रधानमंत्री अपने आवास से किसी सभा में शामिल होने के लिए बाहर निकलते हैं तो पूरे मार्ग का एक तरफ का यातायात 10 मिनट के लिए बंद कर दिया जाता है. इस बीच, राज्य की पुलिस के दो वाहन सायरन बजाकर मार्ग पर गश्त करते हैं. गश्त यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि जिस मार्ग से प्रधानमंत्री गुजरेंगे वह पूरी तरह से क्लियर हो.
क्या है VIP रूट का प्रोटोकॉल…
VIP के लिए हमेशा कम से कम दो रूट तय किए जाते हैं
किसी को रूट की पहले से जानकारी नहीं होती है
अंतिम समय में SPG रूट तय करती है
किसी भी समय SPG रूट बदल सकती है
SPG और स्टेट पुलिस में कॉर्डिनेशन रहता है
स्टेट पुलिस से रूट क्लियरेंस मांगी जाती है
पूरा रूट पहले से क्लियर किया जाता है
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