आसाराम मामले में गुजरात सरकार को फटकार

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सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम द्वारा गुजरात के अपने आश्रम में कथित तौर पर महिला के यौन उत्पीड़न के मामले में धीमी सुनवाई को लेकर फटकार लगाई। न्यायमूर्ति एन.वी.रमन व न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने पूछा कि अब तक पीड़ित की जांच क्यों नहीं की गई। पीठ ने गुजरात सरकार को स्थिति पर अपना हलफनामा देने को कहा।

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अदालत मामले पर दीवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई करेगी

मामले की पिछली सुनवाई में 12 अप्रैल को प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर (अब सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की खंडपीठ ने गुजरात सरकार को गवाहों की जांच में व्यावहारिक रूप से जितना संभव हो सके, तेजी लाने का निर्देश दिया था।

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9 गवाहों की जांच की गई और 46 अन्य की जांच बाकी है

शीर्ष अदालत की प्रतिक्रिया यह सूचित किए जाने पर आई कि अभियोजन पक्ष के 29 गवाहों की जांच की गई और 46 अन्य की जांच बाकी है।राज्य सरकार द्वारा समय मांगे जाने पर अदालत ने समय देते हुए कहा, “मुकदमे में तेजी लाएं और इसे देर नहीं करे। इस मामले में पीड़ित ने आरोप लगाया है कि आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच उसका यौन उत्पीड़न किया। इस दौरान वह गुजरात के उनके आश्रम में रह रही थी।

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जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं आशाराम

पीड़िता की छोटी बहन ने आसाराम के बेटे नारायण साई के खिलाफ भी इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई है।आसाराम (72) सितंबर 2013 से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी राजस्थान में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में हुई।

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