जीएसटी के विरोध में बंगाल के मिठाई निर्माता

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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के विरोध में शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के विभिन्न मिठाई निर्माताओके सौ प्रतिनिधियों ने तीन दिवसीय सामूहिक अनशन शुरू किया है। यह हड़ताल गणेश चतुर्थी के अवसर पर शुरू की गई है, जिस दिन ‘बरफी’ और ‘मोदक’ जैसे मिठाइयों की खूब मांग होती है।

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शहर में जीएसटी के विरोध में इकट्ठा हुए लोग

यह अनशन मिठाई उत्पादकों द्वारा नए कर शासन के खिलाफ की गई राज्यव्यापी हड़ताल के बाद शुरू की गई है। पश्चिम बंगाल मिष्टान्न व्यवसायी समिति के महासचिव आर. के. पॉल ने बताया, “गणेश चतुर्थी पर हमारे उत्पादों की खूब मांग होती है। लेकिन इसके बावजूद हम यहां शहर में जीएसटी के विरोध में इकट्ठा हुए हैं। यहां मालदा, हावड़ा और बीरभूम जैसे जिलों से लोग पहुंचे हैं।

हड़ताल का समर्थन

प्रसिद्ध मिठाई निर्माता के.सी. दास, जिनके तत्कालीन मालिक नवीन चंद्र दास को 1868 में रसगुल्ला के आविष्कारक के रूप में जाना जाता है। वह भी इस हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं।के.सी. दास मिष्ठान्न प्रतिष्ठान के निदेशक धीमान दास ने कहा, “मैं वहां अपने लिए जा रहा हूं और हमलोग वहां अगले दो दिनों तक रहेंगे।

यह उद्योग कम से कम 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष आजीविका मुहैया कराता है। पॉल का कहना है कि अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यापार से कितने लोगों को रोजगार मिलता है, इसका कोई आंकड़ा नहीं है।

सरकार ने जल्दी खराब होनेवाली चीजों को जीएसटी से छूट दी

जीएसटी के प्रति अपने विरोध पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “बंगाल में 50,000 करोड़ रुपये का उद्योग दूसरे राज्यों में मिठाई बनाने उपक्रम से ‘बेहद अलग’ है। दूसरे राज्यों में जो मिठाइयां बनती हैं, वे ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होतीं। हमें जीएसटी से छूट दी जाए, क्योंकि केंद्र सरकार ने जल्दी खराब होनेवाली चीजों को जीएसटी से छूट दी है। हमें समझ में नहीं आता कि उन्होंने हमारी मिठाइयों को जीएसटी में क्यों रख दिया।

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