कोरोना पॉजिटिव प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फरिश्ता बनी नर्स
कोरोना से जंग को जीतने में मेडिकल स्टाफ ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें से ऐसी ही एक स्वास्थ्य कर्मचारी हैं नर्स शुगफ्ता। ऐसे समय में जब कोरोना ने हर जगह मौत का साया डाला तब नर्स शुगफ्ता ने पिछले डेढ़ साल में कोरोना पॉजिटिव माताओं की 100 से ज्यादा बच्चों जन्म देने में मदद की।
पॉजिटिव माताओं का सहारा बनीं ‘शुगफ्ता’
नर्स शुगफ्ता आरा ने कोरोना पॉजिटिव माताओं की 100 से ज्यादा बच्चों को जन्म देने में मदद की है। वो कहती हैं कि अस्पताल मेरा दूसरा परिवार है और मुझे गर्व है कि मैं इस भयानक महामारी की जंग का हिस्सा हूं। जेएलएनएम अस्पताल के नियोनेटोलॉजी डिपार्टमेंट में तैनात शुगफ्ता आरा, घाटी के महामारी की चपेट में आने के बाद से कोरोना ड्यूटी पर हैं। अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स के मुकाबले उनका काम चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा है।
बता दें कि नर्स शुगफ्ता को कोरोना पॉजिटिव प्रेग्नेंट महिलाओं की देखभाल करनी होती है और यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता का इस्तेमाल करना होता है कि बच्चों की डिलीवरी अच्छी तरह से हो।
प्रेग्नेंट महिलाओं की काउंसलिंग बेहद जरुरी
नर्स शुगफ्ता कहती हैं कि यह एक मां के लिए भी बहुत बड़ा इम्तिहान होता है और जो मां का इलाज कर रहा होता है, उसके लिए उससे भी ज्यादा मुश्किल होती है। एक मां के लिए इन हालात में बच्चे को जन्म देना और भी चुनौतीपूर्ण होता है। हम प्रेग्नेंट महिलाओं की काउंसलिंग करते हैं क्योंकि ऐसे में मरीज बहुत घबराया हुआ होता है। हम उन्हें समझाते हैं कि इंफेक्शन उन्हें प्रभावित नहीं करेगा। वह बच्चे को अच्छे से जन्म दे सकती हैं।
उन्होंने कहा, कोरोना पॉजिटिव संक्रमित महिलाओं की देखभाल करना दोधारी तलवार पर चलने जैसा होता है। आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि मां और बच्चा दोनों ठीक रहें। शुगफ्ता ने कहा कि उनके काम का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा कोविड पॉजिटिव माताओं को यह विश्वास दिलाना है कि सब ठीक हो जाएगा।
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शुगफ्ता ने बताया कि मैं हमेशा मरीजों को कहती हूं कि यह बीमारी हर जगह है। आपका टेस्ट हुआ है। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। मैं उन्हें सांस की कसरत करने को कहती हूं, जिससे उनका स्ट्रेस काम होता है। मैं उन्हें खान-पान के बारे में बताती हूं जिससे उन्हें काफी मदद मिलती है।
सात साल का अनुभव रखने वाली शुगफ्ता ने कहा कि आपात स्थिति के दौरान उन्हें कई बार खुद को बचाने के लिए उचित पीपीई किट पहनने का भी समय नहीं मिलता है। मां का तुरंत ऑपरेशन करना पड़ता है इसलिए ऑपरेशन थियेटर में भागना पड़ता है। इसका खामियाजा भी उन्हें उठाना पड़ा। उनके ससुर और पति कोरोना पॉजिटिव हो गए लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
नर्स शुगफ्ता ने कहा कि जब मेरी पहली कोरोना ड्यूटी थी तब मैं डर गई थी। क्योंकि मेरे दो छोटे बच्चे हैं। माता-पिता के लिए परेशान थी। मेरे ससुर और पति संक्रमित हुए। मैंने उन्हें संभाला लेकिन कभी ड्यूटी को ना नहीं कहा।
गौरतलब है कि यहां पिछले डेढ़ साल से शून्य मृत्यु दर के साथ 100 से ज्यादा बच्चों को कोरोना पॉजिटिव माताओं ने जन्म दिया। ये सभी डिलीवरी नर्स शुगफ्ता ने करवाई।
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