मूल निवासियों को ही मिलेगी मेडिकल कॉलेज में ‘एन्ट्री’

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मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय की न्यायाधीश आर के झा व न्यायाधीश नंदिता दुबे की युगलपीठ ने गुरुवार को चिकित्सा महाविद्यालयों में सिर्फ राज्य के मूल निवासी को ही प्रवेश दिए जाने का आदेश जारी किया है। नरसिंहपुर निवासी विनायक परिहार तथा जबलपुर निवासी तारिशी वर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि शासकीय स्वशासी चिकित्सा एव दंत चिकित्सा महाविद्यालयों के पाठयक्रमों में प्रवेश नियम 2017 के अनुसार छात्र को प्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है। पूर्व में भी उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रदेश के मूल निवासी छात्रों को प्रवेश दिया जाए।

प्रदेश के मूल निवासियों को ही दिया जायेगा  चिकित्सा महाविद्यालयमें प्रवेश 

याचिका में कहा गया था कि एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने नीट की परीक्षा का आयोजन करवाया था। जिसके परिणाम 23 जून को आ चुके हैं, इसके बाद प्रदेश अनुसार प्रात्रता सूची तैयार की गई। सभी राज्यों में 15 प्रतिशत सीट अखिल भारतीय कोटे तथा शेष 85 प्रतिशत सीट प्रदेश कोटे से भरी जानी थी। मध्यप्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में यह नियम है कि प्रदेश के मूल निवासियों को ही चिकित्सा महाविद्यालयमें प्रवेश दिया जाएगा।

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याचिका में बताया गया कि प्रदेश के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए मैरिट के आधार पर तैयार की गई सूची में कई ऐसे छात्र हैं जिनके नाम दूसरे प्रदेश की सूची में भी शामिल है। इसका आशय साफ है कि छात्र के पास दो राज्यों के मूल निवास है। एक व्यक्ति दो स्थानों में कैसे पैदा हो सकता है। याचिका के साथ 29 छात्रों के नाम की सूची पेश की गई, जिनके नाम प्रदेश की मैरिट सूची के अलावा अन्य प्रदेशों की सूची में भी थे। दोनों याचिकाओं पर युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

सरकार 30 सितंबर तक कार्रवाई करे

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता आदित्य सांघी व ग्रीष्म जैन ने संवाददाताओं को बताया कि न्यायाधीष आर के झा व न्यायाधीश नंदिता दुबे की युगलपीठ दोनों याचिकओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई की। लगभग दो घंटे चली सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि आगे होने वाली काउसिंलिंग में सिर्फ और सिर्फ प्रदेश के मूल निवासी को दाखिला दिया जाए। सांघी व जैन के मुताबिक, युगलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि जिस छात्र ने नीट 2017 के आवेदन में खुद को जिस प्रदेश का निवासी बताया है, उसे ही अंतिम माना जाए। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि अभी जो दो काउंसिलिंग हुई है और जिनमें बाहरी छात्रों को प्रवेश मिले हैं उन पर सरकार 30 सितंबर तक कार्रवाई करे और उसके बाद फिर से मैरिट लिस्ट तैयार कर सकती है।

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