नौकरी छोड़ पर्यावरण के योद्धा बन रहे नितेश सचान, चला रहे अपना बर्तन बैंक
मंजिल वही पाते हैं जिनके सपनों में जान होती है. आज के समय में सपने सभी देखते हैं लेकिन सपने उसके ही हकीकत में बदलते हैं जिसमें जज्बा होता है. एक और बात पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. जी हाँ ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कानपुर देहात के डिलावलपुर गांव व् वर्तमान में कानपुर के बर्रा- 5 के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर नितेश सचान ने…
आज के आधुनिक दौर में लोग भारतीय परंपरा को खोते जा रहे है जैसे गांव में शादी और अन्य आयोजनों के समय सबके घर से आने वाले बिस्तर, खटिया और टेंट से आने वाले बर्तन तो याद ही होंगें. आज के समय में नई पीढ़ी इससे बिल्कुल परिचित नहीं है लेकिन इस भाईचारे की मिसाल आज भी किसी न किसी तरीके से समाज में दी जाती है. इसमें प्लास्टिक का कोई उपयोग नहीं जिससे जाने अनजाने में पर्यावरण संरक्षण हो जाता है.
प्लास्टिक रोकने के लिए पहुँच रहे स्टील के बर्तन…
दुनिया में अपने लिए जीना तो नियम है लेकिन आज के समय में कुछ लोग ऐसे भी है जो आज ही समाज और मानवता के बेहतरी के लिए प्रयास कर रहे है. जी हाँ… यह काम कर रहे है नितेश सचान जो विप्रो में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करते हुए अपने के साथ समाज के बारे में काम करने की सोंची. इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए अपना बर्तन बैंक की शुरुआत की और आज समाज में तेजी से पर्यावरण के बचाव के लिए प्रेरित कर लोगों के घरों पर आयोजनों में प्लास्टिक की डिस्पोजल कि जगह की जगह स्टील के बर्तन भेज रहे है.
Journalist Cafe से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि, उन्होंने अपनी प्राथमिक पढ़ाई ग्राम डिलावालपुर में की उसके बाद कानपुर में बर्रा स्थिति पूर्णचंद्र विद्या निकेतन में पढ़ाई की और इंटर करने के बाद बीटेक की पढ़ाई तमिलनाडु स्थिति वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से साल 2008 पूर्ण की. इसके बाद 2008 से लेकर 2011 तक Wipro में नौकरी की लेकिन बाद में उन्होंने इससे इस्तीफ़ा दे दिया और खुद कोई काम करने के बारे में विचार किया.
अन्ना आंदोलन से हुए थे प्रभावित….
JOURNALIST CAFE की बातचीत में उन्होंने बताया कि वह नौकरी के दौरान दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ चले अन्ना आंदोलन से प्रभावित हुए थे जिसके चलते उन्होंने फरवरी 2011 में नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद उनका चयन SBI के युथ फॉर इंडिया में हो गया जिसमें उन्होंने करीब 4 महीने Fellowship की और उसके बाद TISS यानि टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज से मास्टर किया और उसके बाद कोलकाता गए.
कोलकाता के परिवार संगठन में किया काम…
नितेश सचान ने बताया कि, TISS से मास्टर्स करने के बाद उन्होंने करीब ढाई साल तक कोलकाता के परिवार संगठन में काम किया और उस दौरान रेड लाइट एरिया और जनजातीय के गरीब बच्चों पढ़ाया और उनको जागरूक किया.
2016 में किया Empathy Connect का गठन …
समाज और पर्यावरण में काम करने के लिए उन्होंने 2016 में Empathy Connect का गठन किया. इस संस्था में करीब 500 लोग जुड़े. इस संस्था का उद्देश्य समाज और पर्यावरण में काम करना का है. इस छोटे से समय में यह संस्था तीन राज्यों में काम किया जिसमें उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और हिमांचल प्रदेश शामिल है.
2022 में अपना बर्तन बैंक का गठन …
कोरोना काल के बाद साल 2022 में उन्होंने अपनी समाज के लिए काम और पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए अपना बर्तन बैंक की शुरुआत की . इसकी शुरुआत उन्होंने महज कुछ स्टील के बर्तन से की लेकिन अब उनकी इस संस्था में करीब तीन हजार के करीब स्टील के बर्तन है . इस संस्था में थाली, प्लेट, पानी के गिलास और चाय के गिलास भी शामिल है.
डेढ़ लाख से अधिक डिस्पोजल रोकने में रहे कामयाब …
उन्होंने बताया कि अपना बर्तन बैंक गठन की बाद से अब तक की सफर में धरती में प्लास्टिक को जाने से रोकने में काफी सफल रहे हैं
. इतना ही नहीं वह अब तक करीब 1 लाख 60 हजार डिस्पोजल की जगह बर्तन देने में सफल रहे है.
ALSO READ: दुश्मनी में बदली सालों पुरानी ईरान और इजरायल की दोस्ती, कभी थे एक दूसरे पर आश्रित
निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं बर्तन…
जौर्नालिस्ट कैफ़े कि बातचीत में संस्था के संस्थापक ने बताया कि, इसके लिए संस्था किसी से कोई फिक्स चार्ज नहीं लेती हैं जबकि कार्यक्रम और आयोजन में बर्तन ले जाने के बाद आयोजनकर्ता अपनी इच्छा के अनुसार संस्था में सहयोग कर देते है.
Note: अपना बर्तन बैंक के संपर्क के लिए – 9120007195