इस दिन रहेगा निर्जला एकादशी का व्रत..काशी के ज्योतिषी ने बताया महत्व व रखने की विधि
वाराणसी: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. महीने में 2 और पूरे साल में यदि अधिमास को जोड़ लिया जाए तो कुल 25 एकादशी के व्रत होते हैं. इन 25 एकादशी व्रत में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले एकादशी का विशेष महत्व है. वहीं यह निर्जला एकादशी के नाम से भी प्रचलित है. धार्मिक कथाओं के अनुसार कुंती के पांचों पुत्र पांडवों ने भी इस व्रत को रखा था.
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पांडवो कि मिला था राजपाट
काशी के ज्योतिषाचार्य के अनुसार व्यास जी के आदेश पर कुंती के पुत्र भीम ने भी इस व्रत को रखा था. भीम को बहुत भूख लगती थी, ऐसे में उन्होंने सिर्फ साल में एक व्रत रखा वो भी बिना अन्न और जल के इसलिए इस व्रत का विशेष महत्व है. माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से ही पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला था.
24 एकादशी के बराबर का मिलता है फल
काशी के ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जो व्यक्ति पूरे साल एकादशी का व्रत नहीं रख पाता अगर वो निर्जला एकादशी के दिन बिना अन्न-जल के व्रत करता है तो उसे साल के 24 एकादशी के बराबर व्रत का फल मिलता है. इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से प्रभु हर तरह की समस्या और परेशानियों का नाश करते हैं.
17 जून को मनाया जायेगा निर्जला एकादशी
वैदिक पंचाग के अनुसार 16 जून दिन रविवार को रात्रि में 2 बजकर 54 मिनट से एकादशी तिथि की शुरुआत हो रही है. जो अगले दिन सोमवार को पूरे दिन रहेगा. इसी को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष 17 जून यानि सोमवार के दिन व्रत को रखा जाएगा.
ऐसे करें व्रत की शुरुआत
निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. वहीं इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना चाहिए. वहीं प्रभु का ध्यान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए. इस व्रत को पूरा करना बेहद ही कठिन होता है क्योंकि ज्येष्ठ मास में भीषण गर्मी होती है और इस भीषण गर्मी में बिना जल ग्रहण के यह व्रत रखा जाता है.