जन-आंदोलन बन गई हैं ‘नर्मदा सेवा यात्रा’

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स्टॉक होम वॉटर प्राइज से सम्मानित और दुनिया में ‘जलपुरुष’ के नाम से चर्चित राजेंद्र सिंह को लगता है कि मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए चल रहे प्रयास सफल होंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की कोशिशों से यह प्रयास जनांदोलन का रूप ले रहा है, लोगों की भागीदारी बढ़ रही है। जब संत, समाज और सरकार मिलकर काम करते हैं तो कोई भी अभियान निष्फल नहीं होता।

नदी, जल और पर्यावरण संरक्षण मंथन में यहां हिस्सा लेने आए राजेंद्र सिंह ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में नदियों की स्थिति ठीक नहीं है, प्रदूषण बढ़ रहा है, उद्योगों और शहरों का गंदा पानी नदियों की सेहत को और खराब कर रहा है। ऐसा नहीं है कि नदियों के संरक्षण के प्रयास नहीं हो रहे हैं, जो हो रहे हैं, वे काफी नहीं हैं।’

देश में रेगिस्तान के नाम से पहचाने जाने वाले राजस्थान में लगभग चार दशक पहले राजेंद्र सिंह ने नदी पुनर्जीवन का अभियान चलाया था। वह कहते हैं कि जब उनके अभियान को लोगों का साथ मिला और सफलता मिली तो उन्हें लगा था कि देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के अभियान चलेंगे, मगर वैसे प्रयास काफी देर से शुरू हुए।

उन्होंने आगे कहा कि बिहार में नीतीश कुमार ने गंगा और फरुक्खा नदी के लिए अभियान चलाया तो मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा नदी के संरक्षण का अभियान जोर-शोर से चलाया हुआ है। आने वाले समय में इन अभियान को सफल होते देखने की इच्छा और कामना है।

विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा राजनीतिक लाभ के लिए और अवैध रेत खनन से ध्यान बंटाने के लिए निकाली है, क्योंकि उनके खिलाफ राज्य में असंतोष पनप रहा है। एंटी-इनकम्बेंसी का असर है। लिहाजा वह नर्मदा नदी के जरिए लोगों को भावनात्मक रूप से अपने से जोड़ना चाहते हैं।

इस पर जलपुरुष ने कहा, “इसमें राजनीति क्या है, मैं नहीं जानता और न ही इस पर कोई राय जाहिर करूंगा, मगर मुझे नर्मदा नदी के मामले में शिवराज की न तो नीयत पर शक लगता है और न ही नीति पर।”  उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक आरोपों को एक क्षण के लिए सही भी मान लिया जाए तो, एक व्यक्ति राजनीति में इतनी ईमानदारी रखे।

मुख्यमंत्री 144 दिन की यात्रा में 48 दिन खुद उपस्थित रहकर धूल और धूप में घूमता है, तो वह विश्वास पैदा करने वाला है, अगर सिर्फ दिखावा किया जा रहा होता तो अब तक लोगों ने इस बात को पकड़ लिया होता। मुझे ऐसा लगता है कि नर्मदा जी शिवराज के दिल में घर कर गई है और वह कुछ करके दिखाने की भावना लेकर चल रहे हैं।

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जलपुरुष ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “चार दशक पहले मै लोगों के सहयोग से सात नदियों को पुनर्जीवित कर पाया, मगर वह काम देश और दुनिया में उतना प्रचारित नहीं हुआ, क्योंकि हमारे पास प्रचार-प्रसार के साधन नहीं थे, वहीं शिवराज ने नर्मदा नदी के लिए प्रचार-प्रसार करके अच्छा वातावरण बनाया, यह एक राजनेता का काम होता है। अगर अच्छा राजनेता अच्छे काम के लिए वातावरण बनाता है, प्रचार-प्रसार पर खर्च भी करता है तो बुरा नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा कि शिवराज ने नर्मदा नदी के लिए सच्चा और अच्छा काम किया है, यह कितना टिकेगा, टिकेगा या नहीं, कितना चलेगा, आगे क्या होगा, यह सारे सवाल बरकरार है। नर्मदा नदी को लेकर एक दस्तावेज बनाया गया है, जीवित इकाई घोषित किया गया है, यह काम बताते हैं कि राज्य सरकार नर्मदा नदी को लेकर गंभीर है।

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एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर यह अभियान सफल हुआ तो आने वाले समय में राज्य की अन्य नदियों को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि इस अभियान ने जिस तरह लोगों को जोड़ा है, उससे सब तरह का असर होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह अभियान नीर, नदी और नारी तीनों को सम्मानित करने वाला है। जलपुरुष ने कहा कि नीर जीवन है, आनंद है और जो नदी है, वह प्रवाह है। इससे राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रवाह बदलता है और सभ्यता भी बदलती है।

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