सांसदों को भी चाहिए सातवां वेतन आयोग, रो रहे अपना दुखड़ा

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देश में सातवा वेतन आयोग लगने के बाद से सरकारी कर्मचारों की तनख्वाह में जो इजाफा हुआ है उसे देखकर अब माननीयों के दिलों में भी एक इच्छा उछने लगी है कि अब उनकी भी सैलरी को बढ़ाई जाए। इन सांसदों का मानना है कि उनको जितना भी वेतन मिल रहा है उससे ज्यादा उनके सचिवों की सैलरी है। इस बात को भी आज सदन में उठाया गया। साथ ही इस पर कुछ सांसदों ने उपसभापति का ध्यान आकर्षित कराना चाहा।

नरेश अग्रवाल ने कहा सदन का ध्यान सांसदों की वेतन विसंगतियों की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि हमारी सैलरी हमारे सचिव से भी नीचे है। नरेश अग्रवाल ने कहा कि मीडिया में ये प्रचारित किया जाता है कि देश के सांसद सब कुछ मुफ्त का खा रहे हैं। मुफ्त में घुम रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि हमारी सैलरी हमारे सचिव से भी कम है।

उन्होंने कहा कि हो सकता है कुछ लोग 50 हजार रुपये में अपना घर चला लेते हो लेकिन क्या एक सांसद के लिए ये संभव है? इस दौरान जब उप सभापति ने उन्हें अपना पक्ष रखने के बाद बैठने के लिए कहा तो नरेश अग्रवाल नाराज हो गये। उन्होंने बिफरते हुए कह, ‘श्रीमान ये तो ऐसा लग रहा है जैसे हम भीख मांग रहे हैं, लेकिन हमें भीख नहीं चाहिए, अगर आपको मना करना है तो साफ मना कर दीजिए, या सरकार मना कर दे, लेकिन ऐसा नहीं लगना चाहिए सांसद भीख मांग रहे हैं।’

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नरेश अग्रवाल उप सभापति पीजे कुरियन के मना करने के बावजूद बार-बार इस मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग करते रहे। हालांकि उपसभापति मुस्कुरा उन्हें सुनते भी रहे।  वहीं इसी मुद्दे पर सांसद आनंद शर्मा ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि दुनिया भर में सांसदों को कहीं भी इतना अपमानित प्रताड़ित नहीं किया जाता है जितना भारत में।

आनंद शर्मा ने आगे कहा कि लोग कहते हैं कि ये अपनी तनख्वाह खुद बढ़ा लेते हैं। आनंद शर्मा ने कहा कि सैलरी और भत्ता के लिए देश को कोई मैकेनिज्म बनाना चाहिए या फिर इसे पे कमीशन से जोड़ दिया जाना चाहिए।

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