सुन्नी नेता का सुझाव, कुरान पढ़ने से ‘निपाह वायरस’ से होगा बचाव
सुन्नी नेता नज़र फैजी कुदाथयी ने इस्लाम के अनुयाइयों से निपाह वायरस को रोकने के लिए ‘आध्यात्मिक उपचार’ का सहारा लेने का सुझाव दिया है। वॉट्सऐप पर एक वॉइस मेसेज में कुदाथयी ने सुझाव दिया है कि इस वायरस से बचने के लिए लोग ‘मनकूस मौलिद’ का सहारा लें उन्होंने दावा किया है कि पेरांबरा के निपाह प्रभावित क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों के द्वारा कुरान के 36वें चैप्टर की सुराह-अल-यासीन को पढ़ने और शेख अब्दुल कादिर जिलानी का नाम एक हजार बार लेने से यह बीमारी नहीं होगी।
500 साल पहले नकूस मौलिद’ का उपयोग किया था
सुन्नी युवजना संगम के स्टेट सेक्रटरी कुडाथयी ने कहा कि मंगलवार को वरिष्ठ सुन्नी विद्वान वावद कुन्हाकोया मुसालीर ने यह उपाय सुझाया है। मनकूस मौलिद एक तरह की प्रार्थना है जो मलयाली लोग किसी तरह की बीमारी वगैरह से बचने के लिए पढ़ते हैं। माना जाता है कि लगभग 500 साल पहले शेख जैनुद्दीन मखदूम ने पहली बार ‘नकूस मौलिद’ का उपयोग किया था।
आध्यात्मिक उपाय से निपाह वायरस से होगा बचाव
कुडाथयी ने कहा कि वावाद उस्ताद ने निपाह वायरस के प्रभाव को रोकने और इस वायरस से संक्रमित हुए लोगों को बचाने के लिए इस ‘आध्यात्मिक उपाय’ का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि इसे लोगों के द्वारा ग्रुप में किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टरों द्वारा सुझाई गईं सभी सावधानियों और उपचारों के दौरान भी इसे किया जाना चाहिए।
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संक्रामक रोग को प्रार्थना के जरिए रोका गया था
उन्होंने कहा कि दशकों पहले मल्लपुरम में संक्रामक रोग फैला था, तब इस प्रार्थना के सहारे उसे रोका गया था। उन्होंने कहा जब डॉक्टर उस संक्रामक रोग को रोकने के लिए परेशान थे, तब इस आध्यात्मिक तरीके से लोग ठीक हो गए थे। वहीं दूसरी ओर सलाफी विचारधारा के लोग सुन्नियों के द्वारा इस तरह की प्रार्थना किए जाने के सुझाव के खिलाफ खड़े हो गए हैं। डब्ल्यूआईओ नेता सीपी सलीम ने कहा कि इस तरह की प्रार्थना गैरइस्लामिक है। उन्होंने कहा कि सुन्नियों की यह प्रार्थना इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है क्योंकि इसमें अल्लाह के अलावा अन्य ताकतों से मदद मांगी गई है।