म्यामांर के उग्रवादियों ने किया किया गाजीपुर के युवक का अपहरण
थाईलैंड में हुई घटना, एक होटल से असलहे के दम पर उठा ले गए उग्रवादी
पूर्वांचल में बह रही चुनावी बयार के बीच गाजीपुर में एक घटना ने वहां के लोगों को सकते में डाल दिया. थाईलैंड नौकरी करने गए युवक का म्यांमार के उग्रवादी संगठन के उग्रवादियों ने अपहरण कर लिया. इसकी जानकारी होने पर परिवारीजन बेचैन हो गए. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से संपर्क कर मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया. उप राज्यपाल ने परिवार को युवक के सकुशल बरामदी का भरोसा भी दिया. मामला थाईलैंड से जुड़ा है.
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उ.प्र. के गाजीपुर जिले के रसूलपुर (सैदपुर) के रहने वाले प्रदीप कुशवाहा का थाईलैंड में अपहरण हो गया है, प्रदीप कुशवाहा ने थाईलैंड के एक चाई थाई रेस्टोरेंट निम्मन में पिछले 8 जनवरी से बतौर मैनेजर नौकरी शुरू की थी. परिवार के लोगों ने बताया कि प्रदीप कुशवाहा थाईलैंड के एक रेस्टोरेंट चाई एंड थाई निम्मन में नौकरी के लिए 8 जनवरी को पहुंचे थे. पुनः उन्होंने बेबसाइट के जरिये और नौकरी तलाशनी शुरू कर दिया था. इसमें एक उग्रवादी संगठन प्रदीप कुशवाहा से बतौर अन्य कंपनी बनकर बातचीत करने लगा. इसके बाद इंटरव्यू के लिए जहां प्रदीप कर रहे थे उसी स्थान पर कंपनी ने अपनी गाड़ी चियांगमाई ग्रैंड व्यू होटल के पास भेजी. होटल के सामने से ही प्रदीप का गन प्वाइंट पर अपहरण कर उग्रवादी उन्हें म्यामांर लेकर चले गए. म्यामांर से प्रदीप ने अपने परिजनों तक किसी तरह यह जानकारी पहुंचाई. परेशान परिवार के लोग प्रदीप के अपहरण की शिकायत भारत में स्थित थाईलैंड एवं म्यामांर के दूतावास में दर्ज कराया है, लेकिन वहां केवल आश्वासन ही मिल रहा है.
उग्रवादियों ने नौकरी के नाम पर फंसाया
थाईलैंड से अपहरण करके म्यामांर ले जाये गए प्रदीप कुशवाहा के भाई राजकुमार कुशवाहा ने बताया कि म्यामांर दूतावास से यह जानकारी मिली है कि जब से म्यामांर में अशांति है तब से वहां का एक बड़ा उग्रवादी संगठन अपहरण और फिरौती का एक बड़ा नेटवर्क चला रहा है. वह जिन लोगों का अपहरण करके ले जाता है. फिर उनसे जबरदस्ती सम्बंधित देश के लोगों का अपहरण करने और फिरौती के लिए समझौता कराने में मदद लेता है. प्रदीप के मामले में भी यही हुआ फिरौती के लिए कॉल करने वाला एक भारतीय लड़का था. जिसने प्रदीप की रिहाई के लिए 8 हजार डॉलर की मांग की. हलांकि, स्थानीय भारतीय बोली में उसने यह भी बताया कि यहां कई भारतीय ऐसे ही फंसे हुए हैं. इस मामले पर भारत में म्यामांर का दूतावास मजबूर नजर आया क्योंकि, ऐसे मामलों में उक्त उग्रवादी संगठन को वर्मा की सेना का अप्रत्यक्ष सहयोग भी मिल रहा है.