यहां होती है पूजा और इबादत एक साथ
देश में धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। सत्ता की चाहत रखने वाले लोग लोगों को आपस में लड़ाने की बात करते हैं। किसी हिंदू को इसलिए मार दिया जाता है क्योंकि वो तिलक लगाए हुए था। किसी मुस्लिम बेटे को ट्रेन में इसलिए बीड़ पीट-पीट कर मार देती है क्योंकि वो टोपी पहने हुए है और वो नमाज पढ़ता है।
देश में अक्सर सांप्रदायिक दंगे होते रहे हैं। सरकारें आती है और चली जाती है, लेकिन राजनीति करने वाले लोग धर्म के नाम पर वोटों का बंटवारा करते हैं। इन सब के बीच एक ऐसी मिसाल भी है हमारे बीच जो ये संदेश दे ही है कि मंदिर मस्जिद के नाम पर लड़ने वालों बंद करो ये खेल क्योंकि भगवान सिर्फ एक है और वो इंसानों में ही बसता है।
बस सिर्फ फर्क है तो हमारी सोच का। किसी को पत्थर में भगवान के दर्शन हो जाते है तो कोई चारो धाम घूम कर भी भगवान को नहीं पाता है। लेकिन हम आप को जो बताने जा रहे हैं वो सबसे अलग एक ऐसी हकीकत है जिसे जानकर आप भी कहेंगे कि इससे बड़ी मिसाल तो कोई हो ही नहीं सकती है।
मजार और शिवलिंग एक साथ
दरअसल, कानपुर देहात के डेरापुर बीहड़ी इलाके में एक ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान भोलेनाथ एक मजार के साथ विराजमान हैं। जो हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है। ये दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर मजार और शिवलिंग एक सात स्थापित है।
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इस मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण करीब 1894 में एक पंडित ने करवाया था। जो कमिश्नर के पद पर फैजाबाद में तैनात थे। पंडित का ननिहाल डेरापुर में था और वो वहां अपने ननिहाल आए हुए थे। कहा जाता है कि पंडित को सपने में एक शिवलिंग दिखाई दिया जिसपर वहां के आसपास चरवाहे घास काटने वाले औजारों को रेतने का काम करते थे।
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जिससे शिवलिंग से खून बह रहा है। अगले दिन पंडित ने वहां पहुंच कर देखा तो पत्थर से कून निकल रहा था। जब खोदा गया तो वहां पर शिवलिंग निकली। जिसके बाद पंडित ने वहां पर एक मंदिर का निर्माण करवाया। जब खुदाई हो रही थी तभी से वहां पर एक मजार भी मौजूद थी जो आज भी आपसी एकता की मिसाल पेश कर रही है। इस मजार और सिवलिंग की तरह यहां के लोग भी आपसी भाईचारा और सौहार्द का प्रतीक बने हुए हैं और एक साथ मंदिर में पूजा और चादर चढ़ाने का सिलसिला चल रहा है।
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