‘राम’ और ‘रहमत’ मिलकर करते हैं मां दुर्गा की पूजा

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“मजहब नहीं सीखाता आपस में बैर रखना हिंदी हैं हम वतन हैं”… इस गीत की पक्तियां उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में फलीभूत हो रही हैं। यहां सिर पर मुस्लिम टोपी है और देवी मां के सामने दुआ में उठे हाथ, उठने की बजाय आपस में जुड़े है जो एकता का संदेश दे रहे हैं। दरअसल, बाराबंकी में नवरात्री के मौके पर कुछ मुस्लिमों ने यहां की दुर्गापूजा का आयोजन कर मिसाल पेश कर रहे है।

हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं

यहां की दुर्गापूजा धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने वालों के मुंह पर करारा तमाचा है। , सांप्रदायिक सौहार्द की शानदार मिसाल कायम करते हुए हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं ।

धर्म के नाम पर हिंसा की खबरें अक्सर आती रहती हैं। लेकिन इन्हीं सब के बीच धार्मिक सौहार्द की एक शानदार मिसाल सामने आई है। यह मिसाल उन लोगों के मुंह पर एक करारा तमाचा है जो धर्म के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिश करते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जिले बाराबंकी में हर साल की तरह इस बार भी नवरात्रि और दुर्गापूजा को लेकर साम्प्रदायिक सौहार्द का गजब का नजारा देखने को मिल रहा है।

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यहां हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी मां दुर्गा के पंडाल में पूजा-अर्चना के लिए इकट्ठा होते हैं। देशभर में नवरात्रि और दुर्गापूजा बहुत धूमधाम से मनाई जा रही है। लेकिन बाराबंकी में अलग ही साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिल रही है। यहां की दुर्गापूजा इसलिए और खास बन जाती है क्योंकि इसमें हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

दुर्गा पूजा के अवसर पर बाराबंकी की नगर पालिका में सजे मां के पंडाल में हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी पूरी श्रद्धा से शामिल हो रहे हैं। यहां हर समुदाय के लोगों के मन में एक दूसरे के त्योहार को लेकर एक जैसी आस्था है और सभी को एक-दूसरे का इतना प्यार और सहयोग मिलता है कि कोई सोच भी नहीं सकता।

दशहरा समिति के बृजलाल ने बताया कि बीते 49 सालों से यहां नवरात्रि पर दुर्गा पूूजा के त्योहार को एक अलग तरीके से मनाने के लिए मुस्लिम भी हिंदुओं की मदद करते आ रहे हैं। इस पंडाल दर्शन करने सिर्फ हिंदू ही नहीं आते, बल्कि अल्लाह के बंदे भी मां दुर्गा के दर्शन को आते हैं। साथ ही पंडाल को सजाने में भी हम सब बराबर की भूमिका निभाते हैं।

वहीं मोहर्रम कमेटी के ओसामा अंसारी ने बताया कि ये बाराबंकी की अनोखी तहजीब है। हमारे यहां कभी जाति और धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं किया जाता। उन्होंने बताया कि जितने मन से यहां हिंदू आते हैं, उतने ही दिल से मुस्लिम भाई भी दुर्गा पंडाल में आकर मां के आगे हाथ जोड़ते हैं।

बाराबंकी की दुर्गापूजा में शामिल होने लखनऊ से आए चंद्रशेखर भट्टाचार्य बताते हैं कि वह हर बार यहां आते हैं। उन्होंने बताया कि उनको पश्चिम बंगाल के बाद बाराबंकी ही एक ऐसी जगह दिखी जहां हिन्दू-मुस्लिम मिलकर दुर्गापूजा का उत्सव मनाते हैं।

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