सरकारी बंगला खाली करेंगे मुलायम, इस इलाके में होगा नेता जी का आशियाना

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सरकारी बंगले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद समाजवादी पार्टी के संरक्षक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह(Mulayam Singh) यादव अब मकान खाली करने को तैयार हो गए हैं। शनिवार को राज्य सम्पत्ति विभाग ने उन्हें भी नोटिस रिसीव करा दिया। इसके बाद मुलायम पार्टी के कोषाध्यक्ष और बिल्डर संजय सेठ के साथ किराए का बंगला खोज रहे हैं।

मुलायम सिंह ढूंढ रहे किराए का घर

संजय सेठ ने बताया, सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद मुलायम भी अपना सरकारी घर खाली कर देंगे। मुझसे उन्होंने कई आवास दिखाने को कहा है। मैं उन्हें गोमतीनगर, माल एवेन्यू में घर दिखाने ले गया था, पर उन्हें कोई पसंद नहीं आया। अभी कुछ और मकान देखे हैं।

घर बनवाना चाहते हैं मुलायम

सूत्रों का कहना है कि विक्रमादित्य मार्ग पर मुलायम अपना नया घर बनवाना चाह रहे हैं। इसमें करीब एक साल लगेगा, तब तक वह कहीं पर किराए का घर लेना चाहते हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी जल्दी अपना सरकारी मकान छोड़ देंगे। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य सम्पत्ति विभाग का नोटिस मिलते ही लखनऊ में अपने स्टाफ को 4, कालीदास मार्ग पर मिला सरकारी बंगला खाली करने को कह दिया है।

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एनडी तिवारी को बाद में दी जाएगी नोटिस

राज्य सम्पत्ति विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को नोटिस देने के लिए अपना प्रतिनिधि दिल्ली भेजा था, पर एनडी अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी पत्नी भी उनके साथ ही हैं। अब विभाग ने तय किया है कि उन्हें अस्पताल में नोटिस नहीं दिया जाएगा। अगर वह या उनके घर का कोई व्यक्ति आवास पर मिलता है तो उसे नोटिस देंगे।

सरकारी बंगले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कोई शख्स एक बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने के बाद आम आदमी के बराबर हो जाता है। शीर्ष अदालत ने लोक प्रहरी संस्था की याचिका पर यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने यूपी मिनिस्टर सैलरी अलाउंट ऐंड मिसलेनियस प्रॉविजन ऐक्ट के उन प्रावधानों को रद्द कर दिया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने का आधिकार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ऐक्ट का सेक्शन 4(3) असंवैधानिक है।

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