रूंगटा मामले में मुख्तार की सजा पर रोक
UP: बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को जिला जज वाराणसी की अदालत से बड़ी राहत मिल गई है. व्यापारी महावीर प्रसाद रूंगटा और उनके परिवार को बम से उड़ाने की धमकी मामले में मंगलवार को मुख्तार अंसारी की सजा पर प्रभारी जिला जज अनुतोष कुमार शर्मा की कोर्ट ने रोक लगा दी. मुख्तार के अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी की ओर से सजा के खिलाफ दाखिल अपील को स्वीकारणीय माना है. अदालत ने वादी को नोटिस जारी कर 29 जनवरी को सुनवाई की तारीख सुनिश्चित की है. न्यायालय ने सजा के खिलाफ दाखिल अपील के संबंध में वादी को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है.
इस मामले में 15 दिसंबर 2023 को एसीजेएम-प्रथम (एमपी-एमएलए) उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी पाते हुए साढ़े पांच साल की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इस आदेश के खिलाफ आरोपी के अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने जिला जज की कोर्ट में अपील दाखिल की थी. जिला जज की अनुपस्थिति में प्रभारी जिला जज अनुतोष कुमार शर्मा की कोर्ट में सुनवाई हुई जहां अपील को स्वीकार योग्य मानते हुए अंतिम निर्णय तक सजा पर रोक लगा दी गई. निचली अदालत से रिकॉर्ड भी तलब किया है.
मुख्तार के अधिवक्ता ने पेश की दलील
प्रभारी जिला जज अनुतोष कुमार शर्मा की कोर्ट में मंगलवार को सजा के खिलाफ अपील करते हुए अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि लोअर कोर्ट ने निर्णय सरसरी तौर पर दिया. महावीर प्रसाद के भाई नंद किशोर रूंगटा अपहरण कांड से सबंधित एक ही संव्यवहार में दो एफआईआर कहीं से उचित नहीं थी. इस संबंध में सीबीआई कोर्ट को भी उस समय जानकारी नहीं दी गई थी. रूंगटा अपहरण कांड में सीबीआई कोर्ट ने आरोपी को बरी किया था. धमकी के मामले में घटनास्थल पर आरोपी का रहना अति आवश्यक है. जबकि अभियोजन ने साजिश का आरोप लगाया है. यह विधि व्यवस्था के अनुरूप नहीं है.
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ये है मामला
चर्चित कोयला कारोबारी और विहिप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहे नंदकिशोर रूंगटा के 22 जनवरी 1997 को अपहरण के बाद उनकी पत्नी ने सीबीआई जांच के लिए आवेदन किया था, जो मंजूर कर लिया गया। इसे लेकर रूंगटा परिवार पैरवी कर रहा था. इस बीच 5 नवंबर 1997 को मुख्तार अंसारी का धमकी भरा फोन आया. कहा कि संभल जाओ, पैरवी बंद कर दो. तुम लोग पुलिस में, कोर्ट में या सीबीआई में शिकायत करना बंद कर दो, नहीं तो तुम लोगों को बम से उड़ा दिया जाएगा. तुम्हारा घर बम से उड़ा दिया जाएगा. महावीर प्रसाद रूंगटा ने 13 नवंबर को तत्कालीन डीआईजी से मिलकर बचाव की गुहार लगाई. डीआईजी के आदेश पर एक दिसंबर 1997 को वाराणसी के भेलूपुर थाने की पुलिस ने मुख्तार अंसारी पर केस दर्ज किया था.