रंग लाई अमरावती की कोशिशें, चार साल बाद नेपाल की जेल से रिहा हुआ बेटा

रंग लाई अमरावती की कोशिशें, चार साल बाद नेपाल की जेल में रिहा हुआ बेटा में था युवक

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पिछले चार सालों से नेपाल की जेल में बंद युवक की घरवापसी हुई तो पूरा परिवार ख़ुशी से झूम उठा। ये लम्हा उस मां के लिए बेहद ख़ास है, जिसने अपने बेटे की रिहाई के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी। बूढी मां ने मदद के लिए बनारस के घर-घर में दस्तक दी। प्रधानमंत्री से लेकर जिलाधिकारी के संतरी से गुहार लगाई। चार साल वो खुशनसीब दिन शनिवार को आया।

सड़क एक्सीडेंट के आरोप में जेल में था बंद-

ये कहानी है महेंद्र की, जो कुछ साल पहले बनारस की फल मंडी से फल लादकर नेपाल जा रहा था, जहां नवलपुरा इलाके में एक्सीडेंट के आरोप में उन्हें जुर्माना न भरने की स्थिति में जेल में डाल दिया गया था।

नेपाली कानून के अनुसार तत्काल हर्जाना 10 लाख रुपये मांगा गया लेकिन महेंद्र का परिवार गरीबी से जूझ रहा था और ऐसा नहीं हो सका। उसे न्यायालय द्वारा 4 वर्ष की सज़ा सुना दी गई। महेन्द अपनी सजा पूरी कर चुका था और उसका हर्जाना भी आधा हो गया।

बीएचयू के छात्रों ने की मदद-

अपने बेटे की रिहाई के लिए महेन्द्र की मां अमरावती ने बहुत कोशिश की। उसके सामने सबसे बड़ी समस्या पैसों का जुगाड़ करना था। अमरावती ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल के बाहर गुहार लगाई।

इसके साथ ही अमरावती ने स्थानीय अधिकारियों के साथ बीजेपी नेताओं से भी मदद की गुहार लगाई लेकिन क़ामयाबी हासिल नहीं हुई। बाद में बीएचयू के छात्रों ने अमरावती की मदद के लिए मुहीम छेड़ी। समाजसेवी यतीन्द्र ने बताया कि महेंद्र की माँ अमरावती देवी 4 वर्षों से बनारस की सड़कों पर भीख माँग रही थी।

मेरी नजर जब इस माँ पर पड़ी तो मैंने विदेश मंत्रालय जाकर महेन्द्र को काउंसलर हेल्प दिलाई। उसके बाद वृद्धा माँ को भारतीय दूतावास काठमांडू लेकर गया और वहां सीनियर काउंसलर के टी खम्पा जी से मिल।खम्पा जी ने महेंद्र से जुड़ी सभी नेपाली कानूनी अड़चनों के बारे में बताया।

बहुत ही भावुक दृश्य था-

इसके बाद में यतीन्द्र ने नेपाल के चौधरी फाउंडेशन से मदद मांगी और फाउंडेशन की डायरेक्टर ने ढाई लाख रुपये के सहयोग करने के लिये हामी भर दी। फाउंडेशन के नवलपुर के अध्यक्ष राम चन्द्र धितल ने जेल में बंद महेंद्र से मुलाकात की और उसे मदद का भरोसा दिलाया कुछ दिन बाद ही यतीन्द्र अपने पास जुटी रकम को लेकर नेपाल पहुँच गए।

3 दिन की प्रक्रिया के बाद महेंद्र को जेल से रिहा कर दिया गया। जेल के बाहर खड़ी महेंद्र की वृद्ध माँ जब उससे मिली तो बहुत ही भावुक दृश्य था।

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